माँद में सेंध लगाने वाला भारत छठा देश

मंगलवार, 4 मार्च 2008 (18:03 IST)
ऑस्ट्रेलिया में 1979-80 में शुरू हुई तीन देशों की प्रतिष्ठित एकदिवसीय क्रिकेट श्रृंखला में भारत आज छठा ऐसा देश बन गया जिसने मेजबान की माँद में सेंध लगाकर चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।

महेंद्रसिंह धोनी की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरे फाइनल में नौ रन से मात देकर त्रिकोणीय श्रृंखला में 28 साल में पहली बार खिताब जीता। जहाँ तक ऑस्ट्रेलिया का सवाल है तो यह लगातार दूसरा मौका जब वह फाइनल्स में पहले दो मैच में पराजित हुआ। पिछली बार इंग्लैंड ने उसे यह झटका दिया था।

भारत ने सबसे पहले 1980-81 में त्रिकोणीय श्रृंखला में भाग लिया था लेकिन तब वह फाइनल्स में भी नहीं पहुँच पाए थे। यही वह श्रृंखला थी जब ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन कप्तान ग्रेग चैपल ने अपने छोटे भाई ट्रेवर चैपल को न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में अंडरआर्म गेंद करने के लिकहा था क्योंकि तब कीवी टीम को जीत के लिए एक गेंद पर छह रन चाहिए थे।

भारत ने इसके बाद 1985-86 में भी इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप में शिरकत की और वह ऑस्ट्रेलिया के साथ फाइनल्स में भी पहुँचा जहाँ उसे 2-0 से मात खानी पड़ी। तब तीसरी टीम न्यूजीलैंड की थी।

ऑस्ट्रेलिया में 1992 में खेले गए विश्व कप से पहले भारत को ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर अभ्यास का बेहतरीन मौका मिला। भारत का त्रिकोणीय श्रृंखला के लीग मैचों में तब अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा था लेकिन अंतिम लीग मैच में वेस्टइंडीज को हराकर वह ऑस्ट्रेलिया के साथ फाइनल्स में पहुँचने में सफल रहा।

सचिन तेंडुलकर ने इसी श्रृंखला से पहली बार ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर अपना जलवा दिखाना शुरू किया था लेकिन वह भारत को पहले दोनों फाइनल में हार से नहीं बचा पाए थे। यह भी संयोग है कि इस टूर्नामेंट में खेलने वाली तीनों टीमें तब विश्व कप के सेमीफाइनल में भी नहीं पहुँची थी और उनका सारी तैयारियाँ धरी की धरी रह गईं।

तेंडुलकर ने इसके बाद 1999-2000 में कप्तान के रूप में त्रिकोणीय श्रृंखला में भाग लिया लेकिन भारतीय टीम ने बहुत खराब प्रदर्शन किया। वह लीग चरण में केवल एक मैच में पाकिस्तान को हरा पाया। इस मैच में भी सौरव गांगुली ने 141 रन की पारी खेली जिसके दम पर भारत ने पाकिस्तान को 48 रन से मात दी। ऑस्ट्रेलिया ने तब फाइनल्स में पाकिस्तान को 2-0 से हराया था।

सौरव गांगुली की अगुवाई में 2003-04 में भारतीय टीम का फाइनल तक पहुँचने का रास्ता आसान था क्योंकि तीसरी टीम जिम्बाब्वे की थी। भारत ने वीवीएस लक्ष्मण (तीन शतक) के शानदार प्रदर्शन से लीग चरण में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन फाइनल्स में वह ऑस्ट्रेलिया से बुरी तरह पराजित हुआ।

असल में तब दोनों फाइनल एकतरफा साबित हुए। ऑस्ट्रेलिया ने पहला मैच सात विकेट से और दूसरा 208 रन से जीता। बहरहाल धोनी के धुरंधरों ने इस बार उस हार का बदला चुकता करके भारतीयों को जश्न मनाने का मौका दिया।

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