बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष राजसिंह डूँगरपुर का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद यहाँ निधन हो गया। क्रिकेट जगत में ‘राजभाई’ के नाम से मशहूर 73 वर्षीय डूँगरपुर 90 के दशक में तीन साल तक क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष रहे। उन्हें अलझाइमर हो गया था।
Girish Srivastava
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राजस्थान के डूँगरपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राजसिंह प्रथम श्रेणी क्रिकेटर, भारतीय टीम के मैनेजर और चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके थे। उन्होंने आजीवन विवाह नहीं किया। तेरह बरस तक क्रिकेट क्लब के अध्यक्ष रहे डूँगरपुर ने सुबह अपने निवास पर अंतिम साँस ली।
राजसिंह का अंतिम संस्कार रविवार को होगा। उन्नीस दिसंबर 1935 को जन्मे डूँगरपुर के राजा महारावल लक्ष्मणसिंह के सबसे छोटे पुत्र थे। उन्होंने राजस्थान के लिए 1955 से 1971 के बीच 16 बरस तक रणजी ट्रॉफी खेली।
डूँगरपुर 1982 और 1986 के दौरों पर भारतीय टीम के मैनेजर रहे। वे 1984-85 और 2005-06 में पाकिस्तान दौरा करने वाली टीम के भी मैनेजर थे। डूँगरपुर ने ही क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया के नियमों में बदलाव करके 14 बरस के सचिन तेंडुलकर को उसका ड्रेसिंग रूम इस्तेमाल करने की अनुमति दिलाई थी।
वह उस चयन समिति के प्रमुख थे जिसने 1989-90 के पाकिस्तान दौरे के लिए तेंडुलकर को श्रीकांत की कप्तानी वाली भारतीय टीम में जगह दी।
उन्होंने ही मोहम्मद अजहरुद्दीन को भारतीय टीम का कप्तान बनवाया और उस खिलाड़ियों की जमात को चुना जिसे बाद में उन्होंने ‘टीम ऑफ नाइंटीज’ कहा। इसमें तेंडुलकर और अनिल कुंबले समेत कई दिग्गज शामिल थे।
खराब दौर से जूझ रहे श्रीकांत की जगह 1989-90 के न्यूजीलैंड दौरे पर अजहर को कप्तानी की पेशकश करते समय उनका यह जुमला काफी चर्चित हुआ था- 'मियाँ, कप्तान बनोगे'। बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर वे हमेशा मीडिया से बातचीत के लिए उपलब्ध रहते थे।