क्रिकेट महासमर में अपनी गेंदबाजी से प्रभावित करने में नाकाम रहे श्रीलंका के तेज गेंदबाज दिलहारा फर्नान्डो विश्व कप फाइनल में वह चूक कर बैठे जिसे वह लाख कोशिशों के बाद ताउम्र नहीं भुला सकेंगे।
ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 38 ओवर में 281 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया जिस तक पहुँचना श्रीलंका के बस की बात नहीं दिखी।
इस विशाल लक्ष्य के पीछे ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की ताबड़तोड़ बल्लेेबाजी तो है ही साथ ही आम तौर पर चपल दिखने वाले श्रीलंकाई क्षेत्ररक्षकों ने कैच टपकाने और रनआउट के मौके गँवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
ऑस्ट्रेलियाई पारी के 11वें ओवर में दिलहारा फर्नान्डो ने वह मौका गँवाया, जो श्रीलंका को विश्व कप भी दिला सकता था। अपने आक्रामक रवैये के लिए मशहूर और पिछले दो विश्व कप मैचों में अर्द्घशतक ठोक चुके ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज गिलक्रिस्ट उस वक्त 31 रन पर खेल रहे थे।
दिलहारा की गेंद पर गिलक्रिस्ट ने हवा में शॉट खेला, लेकिन वह अपने फोलोथ्रू में उसे लपकने में नाकाम रहे। यह मौका अंत में उनकी टीम को इतना भारी पड़ा कि विश्व कप हाथ से फिसल गया। गिलक्रिस्ट ने इस मौके को हाथों-हाथ लेते हुए तूफानी तेवरों के साथ 104 गेंद पर 149 रन बनाए। उन्होंने अपनी पारी में आठ छक्वे और 13 चौके जड़े।
कप्तान रिकी पोंटिंग ने उनके बारे में कहा इसमे को शक नहीं कि हमें उनकी कमी खलेगी। वह क्रिकेट इतिहास के महान खिलाड़ियों में शुमार हैं। सलामी बल्लेबाज उपुल थरंगा के आउट होने के बाद सनथ जयसूर्या और कुमार संगकारा ने संभलकर पारी को आगे बढ़ा रहे थे।
दोनों बल्लेबाजों ने मिलकर दूसरे विकेट के लिए 116 रन जोड़े, लेकिन ब्रेड हॉग की गेंद पर संगकारा (54) पोंटिंग को कैच दे बैठे। इस अहम साझेदारी के टूटते ही श्रीलंका के ख्वाब बिखरने लग गए। इसके बाद भी जयसूर्या और कप्तान माहेला जयवर्द्धने से भी उम्मीद थी, लेकिन कामचलाऊ गेंदबाज माइकल क्लार्क ने जयसूर्या (63) को बोल्ड कर श्रीलंका की हार की इबारत लिख दी।
इससे पूर्व टॉस एक बार फिर अहम साबित हुआ। विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया अब तक पहले बल्लेबाजी करना पसंद कर रहा था और फाइनल में भी ऐसा ही हुआ। पोंटिंग पिछले तीन विश्व कप फाइनल में टॉस जीतने वाले पहले ऑस्ट्रेलियाई कप्तान बने। संभावना जताई जा रही थी कि यदि श्रीलंका पहले बल्लेेबाजी करती तो उसके पास ज्यादा बढ़िया मौका रहता है।
श्रीलंकाई गेंदबाज ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के कहर के सामने लाचार नजर आए। फर्नान्डो ने अपने आठ ओवर में 74 रन दिए जबकि चामिंडा वास के इतने ही ओवर में 54 रन पड़े। स्पिन के जादूगर मुरलीधरन का जादू फीका रहा, जिन्होंने सात ओवर में 44 रन डाले और एक भी विकेट हासिल करने में नाकाम रहे।
विश्व कप के फाइनल में श्रीलंकाई गेंदबाजी में वह बात नहीं थी। वहीं अपनी चपलता के विख्यात इस टीम का क्षेत्ररक्षण भी कुछ खास नहीं रहा। विकेटकीपर कुमार संगकारा समेत क्षेत्ररक्षकों ने कुछ ऐसे कैच टपकाएँ, जिन्हें मुश्किल तो कहा जा सकता है, लेकिन इस स्तर पर ऐसी नाकामी माफ नहीं की जा सकती।
इसके अलावा यदि लंकाई श्रेत्ररक्षक कुछ मौकों पर सीधे विकेट पर थ्रो मारने में कामयाब होते तो भी नतीजा अलग हो सकता है, लेकिन शनिवार का दिन ऑस्ट्रेलिया का था और उसके तीसरी बार विश्व चैम्पियन बनने पर किसी को अचरज नहीं होना चाहिए।