पूर्व कप्तान जावेद मियाँदाद ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को विदेशी कोच के बजाये छोटे स्तर की क्रिकेट पर पैसा खर्च करने की सलाह दी है।
मियाँदाद ने कहा कि आधार मजबूत होने पर पूरे क्रिकेट ढाँचे में खुद ब खुद सुधार होगा। यहाँ प्रतिभा की कतई कमी नहीं है।
ऑस्ट्रेलिया इसलिए नंबर एक है क्योंकि उसने अपने आधार को मजबूत किया और वे कभी विदेशी कोच पर निर्भर नहीं रहे। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने अपने देश में ही खुद की कोचिंग प्रणाली मजबूत की है। हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते।
कुल 124 टेस्ट मैच खेलने वाले मियाँदाद ने कहा कि यदि विदेशी कोच सफलता की गारंटी होता तो फिर डेव व्हाटमोर को बांग्लादेश क्रिकेट टीम के साथ रहते हुए चौंकाने वाले परिणाम देने चाहिए थे।
उन्होंने कहा कि वह चार साल से भी अधिक समय तक बांग्लादेश से जुड़े रहे, लेकिन कोई खास सफलता हासिल नहीं कर पाए। उनके जाने के बाद बांग्लादेश जिस पहली सिरीज में खेल रहा है उसमें उसका प्रदर्शन काफी खराब है। जिसका मतलब है कि वह अपनी ऐसी कोई छाप नहीं छोड़ पाए हैं जिससे बांग्लादेश क्रिकेट सुधार कर सके।
मियाँदाद ने पूर्व खिलाड़ियों को नजरअंदाज करने के लिए पीसीबी की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मैं कई ऐसे पूर्व खिलाड़ियों को जानता हूँ जो गरीबी में दिन गुजार रहे हैं। बोर्ड ने इन खिलाड़ियों के जरिये कमाई की, लेकिन उसने इनके लिए कभी कुछ खास नहीं किया।
पूर्व कप्तान ने कहा कि पूर्व खिलाड़ियों के लिए पेंशन की सही व्यवस्था नहीं है। कोई कल्याणकारी योजना भी नहीं चलाई जा रही है। केवल कुछ भाग्यशाली खिलाड़ी ही आर्थिक रूप से संपन्न हैं।
उन्होंने कहा कि जरा मुझे बताइए कि विदेशी कोच से हमें क्या फायदा हुआ। पिछले दो विश्व कप में हमारी टीम के साथ विदेशी कोच था और हमारा प्रदर्शन सबसे खराब रहा। अन्य एशियाई टीमों को भी विदेशी कोच से क्या लाभ हुआ। भारत ने हाल में स्थानीय कोच और मैनेजर के रहते हुए अच्छा प्रदर्शन किया।
पीसीबी जल्द ही नए कोच की घोषणा करेगा जिसके लिए व्हाटमोर, ज्योफ लासन और रिचर्ड डन दौड़ में हैं। विश्व कप के दौरान बॉब वूल्मर की मौत के बाद से यह पद खाली पड़ा हुआ है।