विदेश में भी चला धोनी का सिक्का

रविवार, 22 मार्च 2009 (10:29 IST)
भारत के सबसे सफल कप्तान सौरव गांगुली ने कहा था कि महेन्द्रसिंह धोनी की कप्तानी की असली परीक्षा विदेशी जमीन पर होगी। उनका इशारा न्यूजीलैंड की जमीन पर होने वाली टेस्ट श्रृंखला की तरफ था, जहाँ छह वर्ष पहले उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने शर्मनाक पराजय झेली थी। धोनी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहला टेस्ट चार दिमेजीतकर साबित कर दिया कि वे अव्वल नंबर के कप्तान हैं।

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यह तो हर कोई मानता है कि धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस समय मुकद्दर का सिकंदर हैं। वे जहाँ हाथ डालते हैं, जीत उनके कदम चूमती है। वैसे उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका में एक दिवसीय श्रृंखलाओं में जीत हासिल की थी, लेकिन सवाल यह उठाया जा रहा था कि विदेशी जमीन पर टेस्ट सिरीज में भी वे उतने ही सफल होंगे। धोनी ने पहले टेस्ट में न्यूजीलैंड को रौंदकइसका भी जवाब दे दिया।

धोनी अपनी कप्तानी में अब तक छह टेस्टों में से पाँच में जीत हासिल कर चुके हैं। उन्होंने कार्यवाहक कप्तान के रूप में दक्षिण अफ्रीका को गत वर्ष कानपुर में हराया था और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली और नागपुर में टेस्ट जीते। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट जीता और अब हैमिल्टन में न्यूजीलैंड को धूल चटा दी।

न्यूजीलैंड दौरे की शुरुआत में दोनों ट्वेंटी-20 मैच हारने के बाद यह आशंका जताई जाने लगी थी कि कहीं भारत को छह वर्ष पूर्व गांगुली की टीम जैसा ही हश्र न झेलना पड़े, लेकिन भारत ने इसके बाद सभी आशंकाओं को निर्मूल साबित करते हुए न्यूजीलैंड से एकदिवसीय श्रृंखला 3-1 से जीत ली। इस जीत के बावजूद यह माना जा रहा था कि टेस्ट सिरीज में हैमिल्टन की उछाल और स्विंग वाली पिच पर भारतीय बल्लेबाजों को न्यूजीलैंड के खिलाफ संघर्ष करना पड़ेगा, लेकिन सारे पाँसे उलट गए।

भारतीय गेंदबाजों ने न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों को उन्हीं की पिच का स्वाद चखाते हुए पहले टेस्ट में दस विकेट की शर्मनाक पराजय झेलने के लिए मजबूर किया। भारतीय कप्तान की तारीफ करना होगी कि उन्होंने अपनी टीम को इस तरह एकजुट कर रखा है कि हर खिलाड़ी अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर ने जहाँ कमाल की पारी खेलते हुए 160 रन बनाए, वहीं ऑफ स्पिनर हरभजनसिंह ने दूसरी पारी में 63 रन पर छह विकेट झटक लिए।

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तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल के वनडे सिरीज के प्रदर्शन को लेकर उनके अंतिम एकादश में चुने जाने पर आशंका व्यक्त की जा रही थी, लेकिन धोनी ने मुनाफ पर भरोसा जताते हुए उन्हें इस मैच में उतारा। मुनाफ ने अपने कप्तान को कतई निराश नहीं किया और पहली पारी में 60 रन पर तीन विकेट तथा दूसरी पारी में 60 रन पर दो विकेट झटक लिए।

युवा तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा हालाँकि दूसरी पारी में कोई विकेट नहीं ले पाए, लेकिन उन्होंने पहली पारी में 73 रन पर चार विकेट लेकर न्यूजीलैंड की कमर तोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाई। टीम के सबसे अनुभवी गेंदबाज जहीर खान ने पूरे मैच में तीन विकेट हासिल किए और इसके साथ ही वे 200 टेस्ट विकेट लेने वाले भारत के सातवें गेंदबाज बन गए। जहीर ने पहली पारी में नाबाद 51 रन भी बनाए।

ओपनर गौतम गंभीर ने दोनों पारियों में क्रमशः 72 और नाबाद 30 रन बनाए। राहुल द्रविड़ ने 66 रन बनाए और मार्टिन गुप्टिल का कैच पकड़कर मार्क वॉ के सर्वाधिक 181 कैच लपकने के विश्व रिकार्ड की बराबरी भी की।

वर्ष 2002-03 में भारत कीवी जमीन पर दो मैचों की सिरीज 2-0 से हारा था, लेकिन इस बार पहला टेस्ट जीतने के बाद उसके सामने 41 वर्षों के बाद न्यूजीलैंड में सिरीज जीतने का सुनहरा मौका बन गया है। उसने 33 वर्षों बाद न्यूजीलैंड की धरती पर कोई टेस्ट जीतने का इतिहास रच दिया है और अब उसकी नजरें सिरीज जीतने पर रहेंगी।

धोनी कामयाबी के जिस घोड़े पर सवार होकर सरपट दौड़ रहे हैं, उससे यह पूरी उम्मीद है कि वे 41 वर्षों में न्यूजीलैंड में टेस्ट सिरीज जीतने का सपना भी पूरा कर देंगे।