1983 में कपिल देव की अगुवाई में भारत ने वेस्टइंडीज जैसी तगड़ी टीम को हराकर करिश्मा तो कर ही दिया था लेकिन टीम और फैंस इस जश्न के लिए तैयार ही नहीं थे।
कल भारतीय टीम के जश्न से जुड़ी हर जानकारी फैंस मीडिया के जरिए जान चुके हैं। लेकिन 1983 में जब भारतीय टीम खिताब जीत तो जीत के बाद से ही जश्न के मायने ही अलग थे।
टीम को खाना तक नसीब नहीं हुआ था क्योंकि रात 9 बजे होटल बंद हो गया था। हालांकि उस रात टीम इंडिया के पास शैंपेन थी। लेकिन यह शैंपेन भी भारत ने वेस्टइंडीज टीम के कप्तान क्लाइव लॉयड से उधार ली थी।
वेस्टइंडीज टीम अपनी टीम की जीत के प्रति आश्वस्त थी लेकिन जब नतीजा इसके उलट आया तो पूरा ड्रेसिंग रुम गमगीन था। कपिल देव इंडीज के ड्रेसिंग रुम गए और उन्होंने क्लाइव लॉयड से पूछा कि क्या हम शैंपेन ले जा सकते हैं क्योंकि हमारे पास नहीं है। तो लॉयड ने इशारा भर कर दिया।
इसके बाद भारतीय टीम की हवाई यात्रा हुई। इकॉनोमी क्लास में टीम को लाया गया। टीम के पास सोने की व्यवस्था नहीं थी। इसके बाद भारतीय टीम जब दिल्ली में उतरी तो उनका स्वागत तत्तकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया।
दिल्ली से टीम फिर मुंबई गई, जैसा कल हुआ था। जहां कल जश्न हुआ था वहां एक सीधी सी बस उस दौर में चली थी। जितनी भीड़ कल थी उतनी भीड़ उस जमाने में तो नहीं थी। लेकिन फिर भी बस के दोनों तरफ लोगों का तांता जमा हुआ था।
अगर इनामी राशी की बात की जाए तो तब के दौर में भारतीय टीम को 3 लाख रुपए का इनाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने दिया था जो आज के 20 करोड़ रुपए से काफी कम है।
ऐसा ही हाल बीसीसीआई के ईनामी राशी का था। बीसीसीआई के पास तब के दौर में भारतीय टीम को ईनामी राशी देने के लिए 20 लाख रुपए की रकम तक नहीं थी। लेकिन गायिका लता मंगेशकर ने क्रिकेट में दिलचस्पी के कारण फंड रेसिंग कॉन्सर्ट के लिए हां कर दी।
लता मंगेशकर के इस कार्यक्रम के कारण टीम इंडिया को 20 लाख की इनामी राशि मिल सकी। इसके एवज ने बोर्ड ने लता मंगेशकर के लिए 2 टिकट भारतीय टीम के मैच के लिए आजीवन दिए।कल टीम इंडिया को सिर्फ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से 125 करोड़ रुपए मिले हैं। यह अपने आप में बताता है कि अब वित्तीय तौर पर कितना सशक्त हो गया है।