क्या अनुराग में सचमुच इतनी प्रतिभा है कि उन्हें दुनिया के सबसे धनाढ्य क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख की कुर्सी पर बैठा दिया गया या फिर भारतीय क्रिकेट में उनसे काबिल अब कोई है ही नहीं? या फिर भारतीय क्रिकेट की उन्नति का जो विज़न अनुराग के पास है, वह सौ, डेढ़ सौ टेस्ट खेल चुके भारत के कई पूर्व कप्तानों के पास भी नहीं है?
साल 2000 में अनुराग अपने पिता प्रेम कुमार धूूमल के प्रभाव से 25 साल की छोटी उम्र में हिमाचल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बन गए, परंतु उन्हें तो भारतीय क्रिकेट बोर्ड में जाना था, लेकिन यहां उनके लिए एक बात आड़े आ रही थी। तत्कालीन बोर्ड प्रशासक जगमोहन डालमिया ने यह अनिवार्य कर दिया था कि राष्ट्रीय जूनियर चयन समिति के सदस्य के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला हुआ होना आवश्यक है।