अनुराग ठाकुर ने उच्चतम न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगी

सोमवार, 6 मार्च 2017 (21:42 IST)
नई दिल्ली। झूठा हलफनामा दाखिल करने के आरोप में न्यायालय की अवमानना नोटिस का सामना कर रहे भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी।

 
न्यायालय में मौजूद ठाकुर ने कहा कि उनकी मंशा कभी भी कोई झूठी जानकारी शीर्ष अदालत को देने की नहीं थी और उन्होंने एक हलफनामा दाखिल किया जिसमें उन परिस्थितियों का जिक्र किया जिनके तहत उनके कथन के कारण अवमानना कार्यवाही शुरू की गई।
 
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष ठाकुर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने कहा कि मैंने (अनुराग) बिना शर्त माफी मांगी है और मैंने परिस्थितियों को बयां किया है। मेरा इरादा कोई भी गलत जानकारी दाखिल करने का नहीं था। पीठ ने इस हलफनामे के अवलोकन के बाद मामले की सुनवाई 17 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी और अनुराग ठाकुर को भी उस दिन व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी।
 
शीर्ष अदालत ने 2 जनवरी को बीसीसीआई के अडियल रवैए पर कडा रुख अपनाते हुए अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के को प्रशासन में व्यापक बदलाव के उसके निर्देशों का पालन करने में ‘व्यवधान’ पैदा करने तथा लटकाने के कारण अध्यक्ष तथा सचिव पद से हटा दिया था। पीठ ने स्वायत्ता के मुद्दे पर आईसीसी को पत्र लिखने के बारे में झूठा हलफनामा दाखिल करने के कारण ठाकुर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई का नोटिस जारी कर दिया था।
 
इस मामले में सुनवाई के दौरान बीसीसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें आईसीसी की आगामी बैठक में उठने वाले विभिन्न मुद्दों पर मंत्रणा के लिए राज्यों के संगठनों के साथ बैठक करने की अनुमति प्रदान की जाए। 
 
उन्होंने कहा कि यदि इन मुद्दों पर चर्चा नहीं की गई तो सरकार और बीसीसीआई को बहुत अधिक धन का नुकसान होगा क्योंकि यह राजस्व से संबंधित है। हालांकि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने इस अनुरोध का विरोध किया और कहा कि ऐसी बैठक की अनुमति उसी परिस्थिति में दी जा सकती है जब राज्यों के संगठन न्यायालय के निर्देशानुसार यह आश्वासन दें कि वे न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की सिफारिशों का पालन करेंगे।
 
इस पर पीठ ने कहा कि पहले तथ्य स्पष्ट हो जाए। हमे आईसीसी से कुछ लेना-देना नहीं है। हमारा सरोकार तो इतना ही है कि एक देश के रूप में भारत के सर्वश्रेष्ठ हितों की पूर्ति होनी चाहिए और उसे पैसा भी मिलना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि मान लीजिये इसमें नुकसान है और बहुत अधिक धन का नुकसान है तो इसका ध्यान रखना होगा।
 
पीठ ने जब यह कहा कि आईसीसी कई स्तर वाली संस्था है और बीसीसीआई इसका एक सदस्य है तो सिब्बल ने कहा कि परंतु बीसीसीआई से राजस्व मिलता है। 90 फीसदी राजस्व अकेले बीसीसीआई से ही आता है। इस पर पीठ ने स्पष्ट किया कि वह आईसीसी और बीसीसीआई के वित्तीय पहलू पर गौर नहीं करेगी। न्यायालय ने कहा कि इस मसले पर 20 मार्च को सुनवाई की जाएगी। (भाषा) 

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