होलकर स्टेडियम पर पहली बार टेस्ट हारा भारत, कम होती रही फैंस की भीड़

शुक्रवार, 3 मार्च 2023 (12:59 IST)
इंदौर:भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के मैच में जो स्पिन के मुफीद पिच बनी उसका सबसे बड़ा खामियाजा दर्शकों को भुगतना पड़ा। होलकर स्टेडियम में खेले गए तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन दर्शकों की संख्या कम दिखाई दी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया को सिर्फ 76 रनों का लक्ष्य मिला था। हालांकि पहले ही ओवर में भारत को उस्मान ख्वाजा का विकेट जरूर मिला लेकिन इसके बाद दर्शकों को निराशा ही हाथ लगी। इसके उल्ट काफी ऑस्ट्रेलियाई दर्शक स्टैंड्स में देखे गए। 
 
यह पहली बार है जब भारत को इंदौर के होलकर स्टेडियम में किसी टेस्ट मैच में हार का स्वाद चखना पड़ा है। इससे पहले भारत यहां साल न्यूजीलैंड से पहली बार लाल गेंद की क्रिकेट में विजेता साबित हुआ था, और फिर उसने बांग्लादेश को भी हराया था। फैंस का दुख हार से ज्यादा करारी हार पर रहा।

‘बल्लेबाजों के स्वर्ग’ से ‘बल्लेबाजों की कब्रगाह’ बने पिच पर फूटा दर्शकों का गुस्सा
 
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी स्पर्धा के तीसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन शुक्रवार को मेजबान भारत की ऑस्ट्रेलिया से नौ विकेट से करारी हार से नाखुश भारतीय दर्शकों ने इंदौर के होलकर स्टेडियम के पिच पर जमकर भड़ास निकाली।
 
गौरतलब है कि होलकर स्टेडियम के मैदान को ‘बल्लेबाजों का स्वर्ग’ कहा जाता है, लेकिन इस टेस्ट मैच में इसके पिच पर फिरकी गेंदबाजों ने इस तरह धड़ाधड़ विकेट गिराए कि यह ‘बल्लेबाजों की कब्रगाह’ साबित हुआ।
 
गहरी निराशा के साथ स्टेडियम से बाहर निकले दर्शक केके राय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,’मैच का नतीजा टेस्ट क्रिकेट के लिए कतई अच्छा नहीं है जो खेल का शास्त्रीय प्रारूप है। अगर ऐसे ही नतीजे आते रहे, तो एक दिन दर्शकों के बीच टेस्ट क्रिकेट की अहमियत खत्म हो जाएगी।’
 
उन्होंने कहा,’भारत में इन दिनों टेस्ट मैच में केवल फिरकी गेंदबाजों को मदद करने वाले पिच बनाए जा रहे हैं। यह सही नहीं है।’
 
भारत की करारी हार के बाद स्टेडियम से बाहर निकले दर्शक हरिओम आंजना ने मैच का टिकट फाड़कर विरोध जताया। उन्होंने कहा,’मैं एक विद्यार्थी हूं और मैंने 350 रुपये खर्च कर यह टिकट लिया था। मैंने सोचा था कि भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन मेरी यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी।’
 
बुजुर्ग दर्शक सतीश बब्बर ने कहा,’भारत में खेले जा रहे टेस्ट मैचों में केवल फिरकी गेंदबाजों को मदद करने वाली पिच बनाई जा रही है, जबकि टी20 क्रिकेट शुरू होने के बाद ज्यादातर दर्शक टेस्ट मैचों में भी चौके-छक्कों वाली बल्लेबाजी देखने की हसरत लिए स्टेडियम पहुंचते हैं। आयोजकों को यह बात समझनी चाहिए।’
 
लकर स्टेडियम से बाहर निकलीं शिवानी जैन ने कहा,’टेस्ट मैच के लिए ऐसा पिच नहीं बनाया जाना चाहिए जिससे केवल फिरकी गेंदबाजों को फायदा मिले। बीसीसीआई को इस मामले में उचित कदम उठाने चाहिए।’
 
कई दर्शकों ने टेस्ट मैच के पूरे पांच दिन नहीं चल पाने पर यह कहते हुए निराशा का इजहार किया कि इससे उनके टिकट की रकम वसूल नहीं हो सकी। दर्शकों में शामिल सौरभ ने टेस्ट मैच के तीसरे ही दिन खत्म होने के लिए पिच को जिम्मेदार ठहराया।
 
उन्होंने कहा,’होलकर स्टेडियम के पुराने इतिहास को देखते हुए हमें उम्मीद थी कि इसका पिच बल्लेबाजों के लिए वरदान साबित होगा, लेकिन इसने केवल फिरकी गेंदबाजों की मदद की जिससे मैच तीसरे ही दिन खत्म हो गया।’
 
भारतीय बल्लेबाजों से प्रशंसक निराश, कई दर्शक दूसरे दिन का खेल खत्म होने से पहले ही बाहर निकले
 
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी स्पर्धा के तहत इंदौर के होलकर स्टेडियम में खेले गए तीसरे क्रिकेट टेस्ट के दौरान ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की फिरकी के आगे नाकाम भारतीय बल्लेबाजों के प्रदर्शन पर दर्शकों ने बृहस्पतिवार को गहरी निराशा जताई।
 
चेतेश्वर पुजारा के अर्धशतक के बावजूद भारत, नाथन लियोन (64 रन पर आठ विकेट) की फिरकी के जादू के सामने तीसरे टेस्ट के दूसरे दिन दूसरी पारी में 163 रन पर ढेर हो गया जिससे मेहमान टीम को 76 रन का आसान लक्ष्य मिला।
 
चश्मदीदों ने बताया कि टेस्ट मैच के पहले दिन के मुकाबले दूसरे दिन होलकर स्टेडियम में वैसे ही कम भीड़ थी और भारतीय बल्लेबाजों के एक के बाद एक विकेट गिरने से कई दर्शक निराश होकर दिन का खेल खत्म होने से पहले ही बाहर निकलते देखे गए।
 
बैतूल जिले से अपने एक दोस्त के साथ टेस्ट मैच देखने आए राहुल लोखंडे ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से कहा,‘‘हम बस से बड़ी दूर से मैच देखने आए थे, लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने बहुत निराशाजनक प्रदर्शन किया और हमारे टिकट की रकम वसूल नहीं हुई।"
 
उन्होंने कहा,‘‘दो ही दिन में टेस्ट मैच खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। लगता है कि तीसरे दिन (शुक्रवार) मैच एक घंटे ही चल सकेगा। इसलिए हम आज (बृहस्पतिवार) ही अपने गांव लौट रहे हैं।’’
 
रतलाम से टेस्ट मैच देखने आए संजय पुरोहित ने कहा,‘‘हमें खासकर विराट कोहली से अच्छी बल्लेबाजी की बड़ी अपेक्षाएं थीं जो पूरी नहीं हो सकीं। लगता है कि तीसरे दिन ही टेस्ट मैच का नतीजा आ जाएगा।’‘
भोपाल में पढ़ रहे युवा विद्यार्थी ऋषभ गुप्ता भी उन दर्शकों में शामिल हैं जो दिन का खेल खत्म होने से पहले ही होलकर स्टेडियम से बाहर निकल गए। गुप्ता ने कहा,‘‘हमें लगा था कि कप्तान रोहित शर्मा या विराट कोहली में से कोई न कोई बल्लेबाज अच्छा खेलेगा, लेकिन भारत की दोनों पारियों में हम बल्लेबाजों से बेहद निराश हुए।’’
 
होलकर स्टेडियम से बाहर निकले एक अन्य दर्शक सुविप्र नेमा ने कहा,‘‘हमें मैच में जरा भी मजा नहीं आया क्योंकि ज्यादातर भारतीय खिलाड़ियों ने बेहद खराब बल्लेबाजी की। हमें बस चेतेश्वर पुजारा को बल्लेबाजी करते देखना अच्छा लगा।’’
 
नेमा ने कहा,‘‘क्रिकेट के एक उत्साही प्रशंसक के रूप में मुझे लगता है कि टेस्ट मैच कम से कम चार दिन तो चलना ही चाहिए। लेकिन भारत में आजकल जिस तरह की पिच बनाई जा रही है, उससे तीन दिन में ही टेस्ट मैच खत्म हो जाता है।’’
 
होलकर स्टेडियम माना जाता रहा है भारत के लिए सबसे भाग्यशाली स्टेडियम में से एक
 
इदौर में मिली हार से पहले मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के इस मैदान के पिछले 17 साल के इतिहास में भारत ने केवल एक मुकाबले को छोड़कर, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों प्रारूपों (टेस्ट, एक दिवसीय और टी20) के हर मैच में जीत दर्ज की है।
 
ऑस्ट्रेलिया ने इस मैदान पर 24 सितंबर 2017 को आयोजित एक दिवसीय मैच के रूप में इकलौता मुकाबला खेला था जिसमें उसे भारत के हाथों पांच विकेट से पराजय झेलनी पड़ी थी।
 
संयोग है कि 2017 के इस मुकाबले में भी वह स्टीव स्मिथ ही ऑस्ट्रेलिया की अगुवाई कर रहे थे।इदौर में मिली हार से पहले होलकर स्टेडियम पर अब तक केवल दो टेस्ट मैच खेले गए थे जिनमें भारत ने न्यूजीलैंड और बांग्लादेश के खिलाफ जीत हासिल की थी।
भारतीय टीम होलकर स्टेडियम में 2006 से लेकर अब तक आयोजित सभी छह एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में जीत का झंडा फहराते आई है और सीमित ओवरों के इस प्रारूप में ऑस्ट्रेलिया के अलावा इंग्लैंड, वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड को धूल चटा चुकी है।
 
होलकर स्टेडियम में अब तक खेले गए तीन टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में से दो में भारत ने जीत हासिल की है, जबकि चार अक्टूबर 2022 को आयोजित एक मुकाबले में मेजबान टीम को दक्षिण अफ्रीका के हाथों हार का सामना करना पड़ा है।

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