बीसीसीआई सचिव जय शाह निर्विरोध आईसीसी के अगले चेयरमैन चुने गए और वैश्विक क्रिकेट प्रशासन में शीर्ष पद पर काबिज होने वाले वह सबसे कम उम्र के प्रशासक होंगे।पैंतीस वर्ष के शाह एक दिसंबर को निवर्तमान चेयरमैन न्यूजीलैंड के 62 वर्षीय ग्रेग बार्कले की जगह लेंगे जिन्होंने लगातार तीसरी बार दावेदारी नहीं करने का फैसला किया।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह को अब बीसीसीआई सचिव का पद छोड़ना होगा जिस पर वह 2019 से काबिज हैं। बोर्ड की आमसभा की बैठक अगले महीने या अक्तूबर में होगी।
शाह से पहले दिवंगत जगमोहन डालमिया, शरद पवार, एन श्रीनिवासन और शशांक मनोहर आईसीसी में शीर्ष पर काबिज होने वाले भारतीय रहे हैं।
अहमदाबाद के रहने वाले क्रिकेट प्रशासक शाह चेयरमैन पद के अकेले दावेदार बचे थे।उन्होंने आईसीसी द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा ,अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के चेयरमैन के तौर पर नामित होने से अभिभूत हूं।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट इस समय नाजुक मोड़ पर है और विभिन्न प्रारूपों का सह अस्तित्व जरूरी है। उन्होंने नयी तकनीकों को अपनाने और नये वैश्विक बाजारों में बड़े टूर्नामेंट कराने पर जोर दिया।
Jay Shah has been elected unopposed as the next Independent Chair of the ICC.https://t.co/Len6DO9xlE
उन्होंने विज्ञप्ति में कहा , मैं आईसीसी टीम और हमारे सदस्य देशों के साथ मिलकर क्रिकेट के वैश्वीकरण के प्रयास करता रहूंगा । हमारा लक्ष्य क्रिकेट में समावेशिता बढाना और इसे अधिक लोकप्रिय बनाना है।
विश्व क्रिकेट के सबसे अमीर बोर्ड के सबसे दमदार व्यक्ति शाह का चयन तभी तय हो गया था जब उन्होंने उम्मीदवारी पेश की थी । भारतीय बोर्ड आईसीसी के राजस्व में 75 प्रतिशत से अधिक योगदान देता है।
समझा जाता है कि एसईएनए क्रिकेट बोर्ड ( दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया ) में से एक ने शाह के नाम का प्रस्ताव रखा और एक ने अनुमोदन किया।
आईसीसी के संविधान के तहत कुल 17 वोट पड़ते हैं जिनमें से 12 पूर्णकालिक टेस्ट देशों के, चेयरमैन, उप चेयरमैन, दो सहयोगी सदस्यों के प्रतिनिधि और एक स्वतंत्र महिला निदेशक के वोट हैं।
शाह इस समय आईसीसी की सबसे दमदार वित्त और व्यावसायिक मामलों की उप समिति के प्रमुख है। वह 2022 में इस उप समिति के अध्यक्ष बने थे।शाह के लिये आईसीसी चेयरमैन बनने का इससे उम्दा समय नहीं हो सकता था क्योंकि उन्हें 2025 से 2028 तक अनिवार्य कूलिंग आफ (विश्राम) से गुजरना है।
बीसीसीआई के संविधान के तहत पदाधिकारी लगातार 18 साल तक पद पर रह सकते हें जिनमें से नौ राष्ट्रीय बोर्ड और नौ प्रदेश ईकाई के साथ होंगे। लेकिन लगातार कोई व्यक्ति छह साल तक ही पद पर रह सकता है जिसके बाद तीन साल विश्राम लेना होगा।
शाह लगातार दो बार आईसीसी चेयरमैन बन सकते हैं और इसके बाद बीसीसीआई में 2028 में आकर अध्यक्ष भी बन सकते हैं।
शाह के सामने फौरी तौर पर आईसीसी में चुनौती पाकिस्तान में चैम्पियंस ट्रॉफी का आयोजन है।शाह एशियाई क्रिकेट परिषद के चेयरमैन के तौर पर 2023 एशिया कप वनडे टूर्नामेंट में हाइब्रिड मॉडल के पुरजोर समर्थक थे जो पाकिस्तान और श्रीलंका की सह मेजबानी में हुआ।
अब देखना यह है कि आईसीसी चेयरमैन के तौर पर वह इस स्थिति से कैसे निपटते हैं क्योंकि भारत सरकार टीम को पाकिस्तान जाने की अनुमति शायद नहीं देगी।समझा जाता है कि चैम्पियंस ट्रॉफी में भी हाइब्रिड मॉडल अपनाया जा सकता है जिसमें पाकिस्तान अपने मैच देश में और भारत के खिलाफ दुबई में खेलेगा।
इसके अलावा दीर्घकालिक चुनौती टेस्ट क्रिकेट के भविष्य की सुरक्षा , वनडे क्रिकेट को लोकप्रिय बनाये रखना और क्लब बनाम देश के विवाद के बीच प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर जाने से बचाना होगी।इसके साथ ही ओलंपिक में क्रिकेट का प्रचार भी अहम चुनौती रहेगी क्योंकि लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 में क्रिकेट का पदार्पण होगा।(भाषा)