कोरोना ने छीनी रणजी क्रिकेटर की नौकरी, पेट पालने के लिए सड़क किनारे दाल-पूड़ी बेच रहा है ये खिलाड़ी
बुधवार, 7 जुलाई 2021 (15:53 IST)
जान-माल का दुश्मन बना कोरोना वायरस लोगों की जिंदगी पर गहरा असर छोड़ रहा है। किसी ने इस महामारी में किसी अपने को खोया है, तो किसी ने नौकरी गंवाई है। मगर इसी का नाम तो जिंदगी है, लाख मुश्किलें सामने आएं, लेकिन इंसान जीना थोड़ी ना छोड़ देता है। ऐसी ही एक स्टोरी सामने आई है पूर्व क्रिकेटर की, जिसने कभी 22 गज की पट्टी पर जलवे बिखेरे थे, मगर अब वह सड़क किनारे दाल-पूड़ी बेचने के लिए बेबस हैं।
हम बात कर रहे हैं प्रकाश भगत की। प्रकाश भगत नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के सामने गेंदबाजी कर चुके हैं। मगर मौजूदा समय में प्रकाश दो वक्त के भोजन के लिए दक्षिणी असम के सिलचर में एक फूड स्टॉल लगाते हैं। एक समय था जब प्रकाश की गिनती असम के टॉप क्लास खिलाड़ियों में की जाती थी। वह अनेक राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय टूर्नामेंट में भी असम का प्रतिनिधत्व कर चुके हैं।
2009-10 में असम की तरफ से रणजी खेलने वाले प्रकाश भगत ने 2003 में एनसीए से ट्रेनिंग ली थी और इस दौरान उन्हें टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ी सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान और हरभजन सिंह से मिलने का मौका मिला था।
साल 2011 प्रकाश के लिए उनकी जिंदगी का सबसे बुरा दौर बनकर सामने आया। दरअसल, 2011 में अपने पिता के निधन के बाद उन्हें क्रिकेट छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। पिता की मौत के बाद उनके बड़े भाई की भी तबीयत रहने लगी। प्रकाश के भाई और पिता चाट बेचने का काम करते थे।
एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए प्रकाश भगत ने बताया, ''मेरे पिता गजाधर भगत की 65 वर्ष की आयु में कार्डिक अरेस्ट के चलते मृत्यु हो गई थी। इस कारण मुझे 2011 में क्रिकेट छोड़ना पड़ा। दरअसल, मेरे पिता और बड़े भाई दीपक भगत चाट का ठेला लगाते थे। पिता की मृत्यु के बाद मेरे बड़े भाई भी बीमार रहने लगे। दीपक शादीशुदा हैं। उनके दो छोटे बच्चे भी हैं।
भगत ने कहा कि, अगर असम क्रिकेट एसोसिएशन या अन्य कोई संगठन उन्हें आर्थिक मदद देता है तो वह फिर से क्रिकेट में अपना करियर बनाना चाहेंगे। भगत ने कहा, मैं क्रिकेट छोड़ने के बाद परिवार की आर्थिक मदद के लिए एक निजी मोबाइल कंपनी में नौकरी करने लगा, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने पिछले साल मेरी नौकरी भी छीन ली।