'आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी' के भविष्य पर संशय

गुरुवार, 23 जून 2016 (23:07 IST)
नई दिल्ली। विश्व क्रिकेट के प्रमुख टूर्नामेंट में शुमार आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी पर खतरे की घंटी बज रही है और वर्ष 2021 से इसे समाप्त किए जाने पर विचार-विमर्श चल रहा है।
अगले वर्ष इंग्लैंड में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी आखिरी साबित हो सकती है और इसके स्थान पर एक नई एकदिवसीय लीग शुरु भी हो सकती है। चैंपियंस ट्रॉफी को वर्ष 2013 में संपन्न हुए पिछले सत्र के बाद ही समाप्त किए जाने की योजना चल रही थी, लेकिन उस टूर्नामेंट के आर्थिक रूप से सफल रहने की वजह से निर्णय वापस ले लिया गया था। 
           
चैंपियंस ट्रॉफी अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को लेकर आईसीसी की मौजूदा समीक्षा का शिकार बन सकता है। इसकी जगह वर्ष 2019 में वनडे लीग आयोजित कराए जाने की योजना है, जिसमें 13 देशों को शामिल किया जा सकता है। 
 
हालांकि आईसीसी इस पर भी विचार कर रही है कि विश्वकप के साथ ही 50 ओवरों के एक और टूर्नामेंट से कार्यक्रम काफी जटिल हो जाएगा और साथ ही प्रशंसकों के लिए भी उलझन होगी। अभी तक के सात सत्रों के बाद भी चैंपियंस ट्रॉफी कुछ खास करने में असफल रही है तथा अपनी पहचान स्थापित करने में संघर्षरत नजर आ रही है। 
 
इसके अलावा एक अन्य प्रमुख कारण दो वर्ष के अंतर पर टी-20 विश्वकप का आयोजन होना है जिसका असर चैंपियंस ट्रॉफी पर देखने को मिला है। चैंपियंस ट्रॉफी से होने वाले आर्थिक नुकसानों की भरपाई टी-20 विश्वकप सफलतापूर्वक कर सकता है। अगले वर्ष एक से 18 जून तक होने वाले चैंपियंस ट्रॉफी में कुल 15 मुकाबले खेले जाएंगे। 
            
भारत वर्ष 2021 में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी का मेजबान देश है। इस टूर्नामेंट के निरस्त होने की स्थिति में भारत को वर्ष 2022 या 2024 के टी-20 विश्वकप की मेजबानी का अधिकार मिल सकता है। 
 
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को लेकर होने वाली आईसीसी की समीक्षा में वैश्विक टूर्नामेंट के साथ ही टेस्ट और वनडे क्रिकेट की संख्या को कम करने पर प्रस्ताव भी रखा जा सकता है जिससे खिलाड़ियों को द्विपक्षीय सीरीज, घरेलू लीग के लिए अधिक समय उपलब्ध हो सके। (वार्ता) 

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