DRS विवाद को तीसरे टेस्ट का टर्निंग प्वॉइंट बताया एल्गर ने, 'भावनाओं में बह गई टीम इंडिया'

शनिवार, 15 जनवरी 2022 (15:47 IST)
केप टाउन: दक्षिण अफ्रीका के कप्तान डीन एल्गर का मानना है कि डीआरएस प्रणाली से भारत की नाराज़गी दक्षिण अफ़्रीका के काम आई।

तीसरे दिन के अंत में रविच्रंदन अश्विन की गेंद पर मरायस इरास्मस ने एल्गर को पगबाधा करार दिया था। वह गेंद राउंड द विकेट से अंदर आई और मिडिल स्टंप के सामने घुटने के नीचे जा लगी। एल्गर ने रिव्यू का सहारा लिया और बॉल ट्रैकिंग ने बताया कि गेंद विकेटों के ऊपर से निकल जाती। भारतीय खिलाड़ी इस फ़ैसले ने नाख़ुश थे और उन्होंने मैदान पर अपनी निराशा व्यक्त की। साथ ही उन्होंने टिप्पणी की थी कि मेज़बान ब्रॉडकास्टर उनके साथ पक्षपात कर रहा था। नौ ओवर बाद आख़िरकार उन्होंने एल्गर को बाहर का रास्ता दिखाया। हालांकि तब तक उन्होंने रैसी वान डेर डुसेन के साथ 4.5 के रन रेट से 41 रन जोड़ लिए थे और लक्ष्य केवल 111 रन दूर था।

Virat Kohli looks frustrated after the ball tracking has gone over Dean Elgar stumps #INDvsSA #SAvsIND#ViratKohli #SAvINDpic.twitter.com/CI99oYT0u0

— CRICKET VIDEOS  (@AbdullahNeaz) January 14, 2022
भारत द्वारा की गई इन टिप्पणियों पर पूछे जाने पर एल्गर ने कहा कि उन्हें बहुत ख़ुशी हुई क्योंकि इससे मेज़बान टीम को लाभ हुआ। उन्होंने कहा, "शायद उनकी टीम दबाव में थी और पिछले कुछ मैचों की तरह चीज़ें उनके पक्ष में नहीं जा रही थी। टेस्ट मैच क्रिकेट के दबाव ने हमें खुलकर खेलने और लक्ष्य के पास पहुंचने का अवसर दिया। कुछ समय के लिए वह खेल को भुलकर टेस्ट क्रिकेट की भावनाओं में बह गए। ऐसा करते हुए वह हमारे हाथों में खेल गए और मुझे ख़ुशी हैं कि उन्होंने ऐसा किया।"गौरतलब है कि इस वाक्ये के बाद दक्षिण अफ्रीका ने अगले 6-7 ओवरों में चौकों की झड़ी लगाते हुए 35 रन जुटाए जिससे दबाव वापस भारत पर आ गया।

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चौथे दिन दक्षिण अफ़्रीका ने दौरा करने वाली संभवत: अब तक की सर्वश्रेष्ठ भारतीय टीम का पहली टेस्ट सीरीज़ जीतने का सपना चकनाचूर कर दिया। दक्षिण अफ़्रीका की दूसरी पारी में उन्होंने विश्व स्तरीय गेंदबाज़ी के साथ-साथ सुनाई जा रही खरी-खोटी का सामना किया। 2018 की सीरीज़ से लेकर ऋषभ पंत के साथ वान डेर की चर्चा तक, बल्लेबाज़ों को सब कुछ याद दिलाया गया।

स्लेजिंग में पीछे नहीं रही दक्षिण अफ्रीका

दक्षिण अफ़्रीकी टीम भी कुछ कम नहीं थी और एल्गर ने बताया कि वह कहा-सुनी में पीछे हटने वालों में से नहीं हैं। हालांकि उन्होंने केवल अपनी टीम के संदर्भ में बात की।दूसरे टेस्ट के बाद एल्गर ने बताया था कि उन्होंने कैगिसो रबादा के साथ गंभीर बातचीत की थी जिसने उन्हें पूरी सीरीज़ के लिए उत्तेजित किया था। उन्होंने खुलासा किया कि टीम के अन्य सदस्यों के साथ भी उन्होंने इसी प्रकार की बातचीत की।

एल्गर ने कहा,"आपको प्रत्येक खिलाड़ी के साथ परस्पर सम्मान रखना होगा और यह मार्ग दोतरफ़ा है। इससे आपको पिछले कुछ हफ़्तों में हुई बातचीत करने में आसानी होती है। "खिलाड़ियों को समझना होगा कि मैं उनका बुरा नहीं चाहता हूं। मैं बस उन्हें टेस्ट क्रिकेट के एक सम्मानजनक स्तर पर प्रदर्शन करते हुए देखना चाहता हूं। अगर आपको सर्वश्रेष्ठ बनना हैं तो आपको उसी तरह का क्रिकेट खेलना होगा जो हम पिछले कुछ सप्ताह में खेलते आए हैं। साथ ही आपको निरंतर होने की आवश्यकता है। टीम में सभी के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं फिर चाहे वह सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी हो या सबसे युवा। मैं अच्छे तरीक़े से उनके साथ जुड़ना चाहता हूं। वह जानते हैं कि डीन सही कारणों से ऐसा कर रहा है।"हम उन चर्चाओं के विषय के बारे में कभी नहीं जान पाएंगे क्योंकि एल्गर ने कहा कि वह "सब कुछ नहीं बताएंगे क्योंकि टीम में हुई बात को टीम के बीच ही रखा जाना चाहिए।" हालांकि अनिवार्य रूप से उनका मूलमंत्र टीम को हित को सर्वोपरि रखने का है।

उन्होंने कहा,"हम सभी चीज़ों को अपने तरीक़े से प्रभावित करना चाहते हैं लेकिन टीम का तरीक़ा ही आगे बढ़ने का एकमात्र तरीक़ा है। यह थोड़ा कठोर लगता है लेकिन यदि आप सर्वश्रेष्ठ बनना चाहते हैं, तो आपके पास वह अद्वितीय कौशल होना चाहिए। मैं जिस भाषा का उपयोग करता हूं या जो शब्द बोलता हूं उससे मैं किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता हूं। मेरा कार्य इस समूह को प्रेरित करने और प्रभावित करने का है।"

कोहली से अलग है एल्गर का स्वभाव

ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि एल्गर उन खिलाड़ियों में से एक हैं जो पर्दे के पीछे की चीज़ों को इतनी सावधानी से नियंत्रित करत हैं। एक दशक के अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में उन्हें कभी भी एक स्वाभाविक अधिनायक के रूप में नहीं देखा गया है। और अब जब वे टीम के कप्तान बने हैं, तो वह विपक्षी कप्तान कोहली की तरह मैदान पर अपनी भावनओं को व्यक्त नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा, "जब बात मैदान पर हुए मामलों अथवा टीम के लिए महत्वपूर्ण चीज़ों की बात आती हैं, तो मैं इतनी आसानी से टूटने वालों में से नहीं हूं। अनुभव के साथ-साथ मेरे कौशल में भी बढ़ोतरी हुई है। मैं इस पर और काम करता रहूंगा और बेहतर बनने की कोशिश करूंगा। दबाव की स्थिति कठिन होती है और ख़ासकर तब जब आपके हाथ में बल्ला ना हो।मैदान पर जो हो रहा है आप उसे नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। मैं यह अच्छी तरह से समझता हूं। आप कैमेरे पर अपने भाव नहीं दिखाता चाहते हैं। उस दृष्टिकोण से मैंने बहुत कुछ सीखा है। बतौर कप्तान, इसने मुझे शांत रहने और घबराहट को नियंत्रित रखने में मदद की है।"

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