आर्चर वेस्टइंडीज अंडर-19 टीम में जगह बनाने के बाद चोटिल हो गए थे। इसके बाद वह 2015 में इंग्लैंड में आकर बस गए थे। इस तेज गेंदबाज ने राजस्थान रॉयल्स पोडकॉस्ट में कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो वह बुरा दौर था। मैंने दो साल क्रिकेट के बिना बिताए थे।’
उन्होंने कहा, ‘मैं युवा था और खेलना चाहता था। ऐसे में आप अपने युवा होने का पूरा फायदा उठाना चाहते हो क्योंकि अगर आप 20, 21 या यहां तक कि 25 साल के हो जाते हैं और भाग्य साथ नहीं देता तो तब भी आप मौके का इंतजार कर रहे होते हो।’
आर्चर ने कहा, ‘ऐसे में लोग उन खिलाड़ियों पर दांव नहीं खेलना चाहते हैं जो थोड़ा उम्रदराज हो जाते हैं।’ पिछले साल इंग्लैंड की विश्व कप जीत में सुपर ओवर करने वाले आर्चर ने कहा कि तब वह निराश हो गए थे जब चिकित्सकों ने उनसे कहा कि हो सकता कि वह आगे क्रिकेट नहीं खेल पाएं।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगा कि जैसे मैंने अपने स्वर्णिम दिन गंवा दिए हों। चिकित्सकों ने मुझसे कहा कि अगर उन्हें सुधार नजर नहीं आता है तो हो सकता है कि मैं आगे क्लब क्रिकेट भी नहीं खेल पाऊं। मुझे वह दिन अब भी याद है। मैं निराश था।’
आर्चर ने कहा, ‘मैंने विश्राम किया और निर्णय लिया कि अगर दर्द कम होगा तो मैं फिर से कोशिश करूंगा। अगर ऐसा नहीं होता तो मैं वापस विश्वविद्यालय लौटकर जीवन की दूसरी राह पर चलने लग जाऊंगा। लेकिन सौभाग्य से मैं जैसा चाहता था वैसा ही हुआ।’ (भाषा)