सौरव गांगुली ने चीफ कोच रवि शास्त्री के साथ तनावपूर्ण संबंधों को नकारा

शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019 (18:01 IST)
कोलकाता। जब से सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) बीसीसीआई के मुखिया बने हैं, तब से अटकलों का बाजार गर्म था कि सबसे पहले टीम इंडिया के चीफ कोच रवि शास्त्री (Ravi Shastri) का 'पत्ता साफ' होगा लेकिन गांगुली के नए बयान से सब कुछ साफ हो गया है। गांगुली ने शास्त्री के साथ मतभेदों की अटकलों को कोरी अफवाह बताते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में लोगों को परखने का मानदंड सिर्फ प्रदर्शन होगा।
 
शास्त्री और गांगुली के बीच मतभेद 2016 में सार्वजनिक हुए थे, जब शास्त्री ने कोच के पद के लिए आवेदन किया था और गांगुली उस समय क्रिकेट सलाहकार समिति में थे, जिसने अनिल कुंबले को चुना था। अगले साल शास्त्री कोच बने जब कुंबले ने कप्तान विराट कोहली के साथ मतभेद के कारण इस्तीफा दे दिया।
 
गांगुली ने शुक्रवार को ‘इंडिया टुडे कॉनक्लेव’ में कहा कि ये सब अटकलें हैं। मेरे पास इन सवालों का जवाब नहीं है। उनसे पूछा गया था कि अतीत के मतभेदों के कारण शास्त्री को लेकर उनके पूर्वाग्रह हैं? उन्होंने कहा कि अच्छा प्रदर्शन करिये और पद पर बने रहिये। प्रदर्शन खराब होगा तो कोई और आएगा। जब मैं खेलता था, तब भी यही नियम था।
 
उन्होंने कहा कि अटकलें, खुलासे और कयास लगते रहेंगे लेकिन फोकस 22 गज के बीच प्रदर्शन पर रहना चाहिए। गांगुली ने विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रदर्शन अहम है और उसका कोई विकल्प नहीं है। गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि भारतीय क्रिकेट में कोहली सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है क्योंकि वह कप्तान हैं।
 
टी20 विश्व कप 2020 के बारे में उन्होंने कहा कि यह प्रारूप बेखौफ क्रिकेट खेलने के बारे में है। टीम में अपनी जगह पक्की करने की सोच लेकर मैदान पर ना उतरें। क्रिकेटर से प्रशासक बने गांगुली ने कहा कि हितों के टकराव के मसले के कारण पूर्व क्रिकेटर प्रशासनिक भूमिका के लिये बोर्ड में नहीं आ पा रहे।
 
उन्होंने कहा कि हितों के टकराव के कारण पूर्व क्रिकेटर बोर्ड में नहीं आ पा रहे। सचिन जैसे खिलाड़ी को भी जाना पड़ा। यह प्रशासकों पर लागू होना चाहिए, क्रिकेटरों पर नहीं। गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह बोर्ड के सचिव है लेकिन गांगुली ने कहा कि उसका निष्पक्ष आकलन किया जाना चाहिए।
 
गांगुली ने कहा कि जय शाह ने एक चुनाव जीता है। उसका निष्पक्ष आकलन किया जाना चाहिए। उसके पिता राजनेता है लेकिन उनका आकलन निजी तौर पर होना चाहिए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बीसीसीआई के मामलों में कोई राजनीतिक दखल नहीं है लेकिन स्वीकार किया कि प्रभावी लोग खेल के संचालन में शामिल रहेंगे। दिवंगत अरूण जेटली जी खेल से प्यार करते थे लेकिन बीसीसीआई में उन्होंने कोई पद नहीं लिया। दिल्ली क्रिकेट में उनका काफी सम्मान है।

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