नई दिल्ली। अपनी बेबाकी के लिए मशहूर खिलाड़ी गौतम गंभीर को अपने क्रिकेट करियर के बारे में किसी चीज के लिए कोई मलाल इसलिए नहीं है, क्योंकि वे रात में शांति से सो पाते थे। उनके दोस्तों के बजाय उनके दुश्मनों की संख्या ज्यादा रही है। गंभीर रविवार को प्रतिस्पर्धी क्रिकेट से संन्यास लेने को तैयार हैं।
उन्होंने एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि यह बात सिर्फ क्रिकेट तंत्र में ही नहीं है बल्कि हमारे समाज में यह आम है कि किसी को भी उसकी कमियां बताया जाना पसंद नहीं आता। हम सच्चाई को नहीं देखते, अपना दर्जा बनाए रखना चाहते हैं। मुझे इससे घुटन होती है। भले ही चयनकर्ता हों या फिर डीडीसीए प्रबंधन, गंभीर ने क्रिकेट संबंधित मुद्दों पर उसी का साथ निभाया, जो उन्हें सही लगा।
उनकी 2017 में केपी भास्कर से गाली-गलौज हो गई थी जिसमें उन्होंने पूर्व कोच पर आरोप लगाया था कि वे जूनियर खिलाड़ियों का करियर बर्बाद करने की कोशिश कर रहे थे। उनकी गेंदबाज नवदीप सैनी को लेकर चेतन चौहान से बहस हो गई थी। वे राज्य चयनकर्ता पर भी नाराज हो गए थे, क्योंकि दिल्ली की टीम के लगातार 3 रणजी मैच जीतने के बाद यह चयनकर्ता निचले स्तर के क्लब क्रिकेटर को टीम में शामिल करना चाहता था।