10 दिन जेल की सजा काटी, सट्टेबाजी में 60 लाख गंवाये

बुधवार, 15 जुलाई 2015 (00:43 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति पर गुरुनाथ मयप्पन की इस दलील का कोई असर नहीं पड़ा कि उसने 10 दिन जेल की सजा काटी, सट्टेबाजी में 60 लाख रुपए गंवाये और युवा होने के साथ उसने पहली बार अपराध किया है।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढ़ा की अगुवाई वाली समिति ने कहा, ‘आपराधिक आरोपों का सामना करने और 10 दिन की जेल से साबित हो गया है कि उसका कसूर कितना संगीन था।’ 
 
रियायत के लिए उसकी अन्य दलीलों को खारिज करते हुए समिति ने कहा, ‘उसे आईपीएल मैचों पर सट्टा लगाने की आदत थी जिससे पहली बार अपराधी होने की उसकी दलील बेमानी हो जाती है। इसके अलावा उसका सट्टेबाजी में 60 लाख रुपए गंवाना साबित करता है कि वह भारी सट्टा लगाता था।’ 
 
पैनल ने कहा, ‘यह उसकी बदकिस्मती थी कि वह इस सट्टेबाजी से पैसा नहीं बना सका। उसने खेल, आईपीएल और बीसीसीआई की छवि और साख को जो नुकसान पहुंचाया है, उसकी तुलना में मीडिया कवरेज के कारण उसे हुई परेशानी बहुत छोटी है।’
 
पैनल ने कहा, ‘वह 40 साल का है। वह युवा नहीं है बल्कि अधेड़ उम्र है। यह स्वीकार करना मुश्किल है तो वह खेल के प्रति जुनूनी है। जिस व्यक्ति को वाकई खेल का जुनून होगा, वह सट्टेबाजी नहीं करेगा।’ 
 
कुंद्रा को भी पैनल से कोई रियायत नहीं मिली। उसने इस आधार पर रियायत की मांग की थी कि उसने और उसके परिवार ने क्रिकेट से प्यार के लिए आईपीएल में इतना निवेश किया और उनका मकसद आर्थिक फायदा नहीं था। उसने यह भी कहा था कि वह फ्रेंचाइजी में अपना हिस्सा छोड़ने को भी तैयार है लेकिन न्यायालय ने कहा कि इससे उसके कदाचार की गंभीरता कम नहीं होती। 
 
कुंद्रा के बारे में समिति ने कहा कि राजस्थान रॉयल्स का सह मालिक होने के नाते उसे बीसीसीआई के नियमों और आचार संहिता का पालन करना चाहिए था।
 
समिति ने कहा, ‘ब्रिटिश नागरिक होने के नाते उस पर यह सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी थी कि उसकी हरकतें और गतिविधियां दूसरे देश के कानून के खिलाफ ना हों। भारतीय दंड संहिता के तहत सट्टेबाजी अपराध है। बीसीसीआई के नियमों और आचार संहिता में भी यह भ्रष्टाचार के दायरे में आता है।’ (भाषा)

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