भारतीय बल्लेबाज ने इंग्लैंड में स्टुअर्ट ब्रॉड जैसे तेज गेंदबाज के खिलाफ और ड्यूक गेंद के साथ खेलने का अनुभव साझा करते हुए कहा, “ भारत में आप हल्का सा पुश करके इससे दूर हो सकते हैं या यहां तक कि अगर ड्राइव वाली गेंद नहीं है तो भी आप ऊपर की ओर ड्राइव करके गेंद से दूर हो सकते हैं। अगर मुझे उस गेंद को दूसरी बार खेलना होता, तो मुमकिन है कि मैं देर से खेलने की कोशिश करता। ”
हनुमा विहारी ने कहा, “ इंग्लैंड में ड्यूक गेंदें भी चुनौती होंगी। जब धूप निकली होगी तो बल्लेबाजी आसान होगी, लेकिन अगर मौसम नमी वाला हुआ और बादल छाए रहे तो गेंद पूरे दिन स्विंग करेगी। काउंटी क्रिकेट में शुरुआत में मुझे यह चुनौती मिली थी। यहां काफी सर्दी है ऐसे में गेंद को पिच से काफी मदद मिलती है। ” विहारी अपने टेस्ट पदार्पण में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड के खिलाफ 23 गेंदों पर बिना खाता खोले आउट हो गए थे। इस बारे में उन्होंने कहा, “ मैंने तब सोचा था कि शायद ड्राइव करने के लिए गेंद की लंबाई अच्छी है, लेकिन इंग्लैंड में आपको अपने शॉट चयन को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ”
विराट कोहली की अगुआई में भारतीय टीम में न्यूजीलैंड के खिलाफ डब्ल्यूटीसी फाइनल और इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए इंग्लैंड पहुंच चुकी है। उल्लेखनीय है कि आईपीएल के इस सत्र में किसी भी टीम द्वारा न खरीदे जाने के बाद हनुमा विहारी काउंटी क्रिकेट खेलने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। वह तब से वहीं थे और वह सीधे ही भारतीय टीम के साथ जुड़े हैं।विहारी काउंटी चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए अप्रैल की शुरुआत में इंग्लैंड पहुंचे थे।
गौरतलब है कि आंध्र के इस बल्लेबाज ने साल के शुरु में चल रही भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडिनी में खेले गए तीसरे टेस्ट में 161 गेंद में 23 रन बनाकर आर अश्विन के साथ मिलकर मैच बचाया था। दोनों ने करीबन 42 ओवरों तक ऑस्ट्रेलिया का घातक गेंदबाजी आक्रमण पिच पर झेला था। लेकिन विहारी की भूमिका ज्यादा बड़ी थी क्योंकि उन्होंने एक छोर संभाले रखा था। यह साझेदारी रनों के लिए नहीं बल्कि गेंदो के लिए याद रखी जाती है।(वार्ता)