सीओए ने कहा, बीसीसीआई के साथ पंजीकृत किसी भी क्रिकेटर पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाने के बाद उसके खिलाफ अंतिम फैसला करने का अधिकार बीसीसीआई के लोकपाल के पास है जिसकी नियुक्ति उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को लेकर लंबित पड़ी है। सीओए का मानना है कि 11 जनवरी के आदेश से जारी किया गया निलंबन तत्काल प्रभाव से हटा लिया जाए।