मुंबई। भारतीय क्रिकेट टीम में प्रवेश करने के कई रास्ते हैं और ये रास्ते घरलु क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद तय होते हैं। घरेलु क्रिकेट में सबसे प्रमुख हैं रणजी ट्रॉफी। टीम इंडिया के कई सूरमा खिलाड़ी इसी मार्ग से टीम में आए हैं। इन दिनों रणजी ट्रॉफी अपने शबाब पर हैं। क्या आप जानते हैं कि इस ट्रॉफी का कौनसा साल चल रहा है? आपको बता दें कि यह रणजी ट्रॉफी का 86वां साल है।
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में रणजीत सिंह देश के ऐसे पहले ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें इंग्लैंड की क्रिकेट टीम में खेलने का मौका मिला था। उस समय पटियाला महाराज ने इंग्लैंड के लिए 15 टेस्ट मैचों में 45 के औसत से 989 रन बनाए थे।
यही नहीं, रणजीत सिंह का बल्ला प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खूब चला और उन्होंने 72 शतक के अलावा 109 अर्धशतक भी जड़े। उन्होंने 300 से ज्यादा प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें 24 हजार 692 रन बनाए।
जीवन परिचय : रणजीत सिंह विभाजी जडेजा का जन्म 10 सितम्बर 1872 सदोदर, काठियावाड़ में हुआ। 1907 में वे नवानगर में महाराजा जाम साहेब बने। उनका शासन 1933 तक चला। रणजीत सिंह की 10-11 वर्ष की उम्र से ही क्रिकेट में रुची थी। 1883 में पहली बार स्कूल ने क्रिकेट में क्रिकेट खेला। जब वे इंग्लैंड गए, उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया। 1884 में वे टीम के कप्तान बने और 1888 तक रहे।
1896 में खेल के उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण उन्हें क्रिकेट की बाइबिल विस्डन ने 'विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' वर्ष 1897 के लिए नामांकित किया था। 1915 में शिकार के वक्त जख्मी हो गए और दायीं आंख की रोशनी खो बैठे थे। रणजीत सिंह का निधन 60 बरस की उम्र में 2 अप्रैल 1933 को हो गया। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने 1934 से ही उनके नाम पर रणजी ट्रॉफी (रंजी ट्रॉफी) की शुरुआत की।