होल्कर स्टेडियम, इंदौर के चुनौतीपूर्ण ट्रैक पर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का तीसरा मैच अपने नाम कर लिया है। इसी जीत के साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में अपनी जगह सुनिश्चित कर चुकी है। टॉस जितने के बाद भारतीय टीम के पक्ष में कोई भी फैंसला जाता नहीं दिखाई दिया। पहली पारी में ऑस्ट्रेलियाई टीम के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को अपनी गेंदबाजी के दबाव में रखा और भारतीय पारी को 109 के स्कोर पर ही सिमित किया।
दूसरी पारी में भी भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई टीम को सिर्फ 76 का ही लक्ष्य दे पाई जिसे ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों ने तीसरे दिन लगभग डेढ़ घंटे में पूरा किया। हालाकि होल्कर स्टेडियम की इस पिच पर दोनों ही टीम 200 का आंकड़ा नहीं पार कर पाई, ऑस्ट्रेलिया भी अपनी पहली पारी में एक बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकामयाब रही और 197 पर सिमट ही सिमट कर रह गई थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया के ऑफ स्पिनर नाथन लियोन ने भारत की दूसरी पारी में अपनी गेंदबाजी की गिरफ्त में रख कुल आठ विकेट चटकाए। भारत ने अपनी दूसरी पारी में 163 रन बनाकर ऑस्ट्रेलियाई खेमे को 76 रनों का टारगेट दिया जो उन्हें तीसरे दिन पूरा करना था।
गेंद बदलकर मारी पैर पर कुल्हाड़ी
तीसरे दिन के शुरूआती दस ओवर में खेल की पकड़ भारत के हाथों में नज़र आ रही थी। मैच की दूसरी गेंद पर आश्विन ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज, उस्मान ख्वाजा को शुन्य पर आउट कर चूक थे। 10 ओवर के बाद ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 13-1 था। ऑस्ट्रेलिया के लिए चीज़ें आसान तब हुई जब दसवे ओवर के बाद भारतीय टीम द्वारा गेंद बदलवाई गई। बदली हुई गेंद के बाद ट्रेविस हेड (49) और मार्नस लाबुशेन (28) ने जीत के लिए बचे 63 रन सिर्फ 8.5 ओवर में ही पूरे किए। कई क्रिकेट प्रशंसक का यह कहना है कि गेंद चेंज कर भारतीय टीम ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है।
कप्तान रोहित शर्मा ने किया बचाव
लेकिन कप्तान रोहित शर्मा का इसे लेकर अपना अलग विचार है। रोहित शर्मा गेंद बदलने से नहीं स्कोरबोर्ड पर एक बड़ा लक्ष्य न रख पाने से निराश हैं। भारत की हार के बाद कप्तान रोहित शर्मा ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा "हमें लगा कि गेंद सही नहीं थी इसलिए हमने उसे बदल दिया। जब भी आप गेंद को बदलते हैं, अगर चीजें सही जगह पर नहीं गिरती हैं, तो ऐसा लगता है, 'ओह, गेंद कुछ खास नहीं कर रही थी।' लेकिन अगर हमने उस दूसरी गेंद से दो या तीन विकेट लिए होते, तो यह एक अलग कहानी होती। बोर्ड पर पर्याप्त रन नहीं थे और हमें यहीं देखना चाहिए। इसी से हम निराश हैं- गेंद से नहीं। यह सिर्फ इतना है कि हमें बोर्ड पर और रन चाहिए थे। मैदान पर होने वाली छोटी-छोटी चीजें वास्तव में खिलाड़ी के कौशल और मानसिकता को प्रभावित नहीं करती हैं।"