'दुल्हन' की तरह सज गया है इंदौर का होलकर स्टेडियम

14 अक्टूबर को 'फ्रीडम सीरीज' (गांधी-मंडेला) के दूसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए उषाराजे स्थित मैदान पर बना 'होलकर' स्टेडियम दुल्हन की तरह सज चुका है और यहां पर रोमांचक क्रिकेट की दावत देने के लिए टीम इंडिया के साथ-साथ मेहमान दक्षिण अफ्रीका की टीम भी पहुंच चुकी है। 27 हजार दर्शक क्षमता वाले इस स्टेडियम में जिनके पास टिकट हैं या कॉम्पलिमेंटी के जरिए मैच देखने की पात्रता हासिल है, वे खुद को शहर का सबसे भाग्यशाली इंसान समझ रहे हैं। 35 लाख की आबादी में यह गौरव हासिल करना किसी हिमालयीन कामयाबी से कम नहीं है।


 
मैंने 36 साल से ज्यादा के पत्रकारिता करियर में इससे पहले ऐसी दीवानगी नहीं देखी। इसकी दो वजहें हैं, पहली यह कि जिस टीम से भारतीय क्रिकेट सितारे मुकाबला करने 14 तारीख को उतरेंगे, वह एक बहुत ताकतवर और खतरनाक टीम है और दूसरी यह कि अफ्रीकी टीम ने कानपुर में खेले गए पहले मैच में भारत पर 5 रन से रोमाचंक जीत दर्ज की है। दर्शक इस रोमांच को लेकर बेसब्र हो रहे हैं कि क्या उनकी आंखें टीम इंडिया को बराबरी करते देख सकेंगी? 
 
टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी संभवत: इंदौर में आखिरी बार नजर आएं...धोनी के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं और उनके पास अपनी काबिलियत सिद्ध करने का यह सुनहरा मौका है। कभी दुनिया के नामचीन गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने वाला टीम इंडिया का यह कप्तान वनडे से सम्मानजनक विदाई की राह तक रहा है। एक बेहतरीन और चमकीली पारी धोनी के दामन पर लगे दाग धो सकती है। 
दक्षिण अफ्रीकी टीम के कप्तान एबी डी'विलियर्स, जेपी डुमिनी, फाफ डू प्लेसिस, डेविड मिलर, डी' कॉक के बल्लों में वह दम है, जो गेंद को होलकर स्टेडियम के पार पहुंचा सकते हैं। कारण यह भी कि होलकर की बाउंड्री छोटी है। दर्शक और मैदान के बीच कुछ फीट का ही फासला है, लिहाजा इंदौरी दर्शकों को काबू में रखने के लिए सुरक्षाकर्मियों को सदैव सजग रहना होगा, फिर कटक टी20 की घटना (तीन बार मैच को रोका गया) भी तो ताजातरीन है। 
 
भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान कर्नल सीके नायडू की कर्मस्थली रहा इंदौर शहर 14 अक्टूबर को 11वीं मर्तबा किसी एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच की मेजबानी करने जा रहा है। सात मैच नेहरू स्टेडियम में आयोजित हुए जबकि तीन मैच होलकर स्टेडियम में। 25 दिसंबर 1997 को नरेंद्र मेनन द्वारा बनाए गए खराब पिच की वजह से यदि भारत-श्रीलंका मैच कुछ ओवरों के बाद रद्द नहीं होता तो होलकर स्टेडियम इतनी जल्दी नहीं बनता। 
 
90 के दशक में मध्यप्रदेश क्रिकेट के मुखिया माधवराव सिंधिया थे और जब मैच रद्द होने से भारत, मध्यप्रदेश और इंदौर के सीने पर जो काला दाग लगा, उसी से आहत होकर यह फैसला किया गया था कि जितनी जल्दी हो सके, मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का अपना स्टेडियम होना चाहिए। सिंधिया में धन जुटाने के वही गुर थे, जो गुर क्रिकेट को व्यावसायिकता का जामा पहनाने वाले जगमोहन डालमिया में थे।
पैसा इकट्ठा हुआ, बीसीसीआई ने मदद की, रद्द मैच से जो राशि एकत्र हुई थी, वो धनराशि इसके निर्माण में झोंक दी। युद्ध स्तर पर काम हुआ और लंदन में बसीं उषा राजे ने भी शहर के दिल में स्थित अपनी जमीन मुहैया करवाने में उदारता दिखाई। होलकर स्टेडियम के पहले इस मैदान को उषा राजे मैदान के नाम से ही पहचान मिली हुई थी। 
 
बहरहाल, शारजाह की तर्ज पर होलकर स्टेडियम संजय जगदाले और उनकी टीम की मेहनत से बना और यहां पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच 15 अप्रैल 2006 को भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया। यह दुर्भाग्य ही रहा कि खुद माधवराव सिंधिया इस स्टेडियम से पहला मैच नहीं देख सके, क्योंकि 30 सितंबर 2001 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी।
 
भारत और इंग्लैंड के पहले मैच की शुरुआत के आधे घंटे बाद माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य खुद प्रेस बॉक्स में आए (तब प्रेस बॉक्स पैवेलियन के ठीक पास हुआ करता था) और पत्रकारों से स्टेडियम के बारे में अपनी प्रतिक्रिया लेते रहे। माधवराव के बाद मप्र क्रिकेट की बागडोर आज तक ज्योतिरादित्य के हाथों में ही है और कम से कम उन्हें इसका सुकून होगा कि वे अपने पिता के सपने साकार कर रहे हैं। 
 
अब बात 14 अक्टूबर को होने जा रहे भारत-दक्षिण अफ्रीका वनडे मैच की...12 अक्टूबर की शाम...वक्त 7 बजे..रोशनी से नहाया होलकर स्टेडियम दुल्हन की तरह सज चुका था। किसी अंतरराष्ट्रीय मैच की अंतिम तैयारियां कैसी होती हैं, इसे तो वहां जाकर ही समझा और महसूस भी किया जा सकता है। सैकड़ों लोग अपने-अपने कामों में जुटे हुए थे। सुरक्षाकर्मियों की रिहर्सल जारी थी। तभी स्टेडियम के बाहर स्नेपर डॉग और बम निरोधक दस्ता स्टेडियम की बिल्डिंग के बाहर नजर आया। 
 
चार की उम्र वाली 'चंपा' नामक स्नेप डॉग को शाजापुर से लाया गया है। चंपा 'डीएसपी' रैंक की है और डॉग मास्टर संजीव दुबे की देखरेख में रहती है जबकि बम निरोधक दस्ते के प्रमुख बीडीडीएस (पीएचक्यू, भोपाल) सुदेश कुमार भोपाल से आए हैं। उन्होंने बताया कि तीन घंटे सुबह और तीन घंटे शाम को मैदान से लेकर स्टेडियम के बाहर को चेक करने की ड्‍यूटी है। दो दिनों से यह चेकिंग चल रही है। सोमवार की शाम को दोनों टीमें जब इंदौर पहुंचीं, तब खिलाड़ियों को ले जाने वाली बस की आधे घंटे तक चेकिंग की और क्लीयरेंस सर्टिफिकेट के बाद ही खिलाड़ी उसमें सवार हुए। 
 
मैच को निर्बाध तरीके से संपन्न कराने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 13 अक्टूबर की सुबह टीम इंडिया ने जमकर पसीना बहाया। इंदौरी दर्शक चाहते हैं कि होलकर स्टेडियम फिर से भारत के लिए भाग्यशाली साबित हो क्योंकि यहां पहले मैच में इंग्लैंड को 7 विकेट से (15 अप्रैल 2006), दूसरे मैच में इसी अंग्रेज टीम को 54 रनों से (17 नवंबर 2008) और तीसरे मैच में वेस्टइंडीज को 153 रनों (8 दिसंबर 2011) हराया था।
 
लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग हैं...अव्वल तो यह कि अफ्रीकी टीम ने तीन टी20 मैचों की सीरीज के 2 मैचों में टीम इंडिया की चकाचक धुनाई की, कोलकाता में बारिश से तीसरा मैच रद्द हुआ और उसके बाद वनडे सीरीज का आगाज जीत के साथ किया। क्रिकेट के तीनों पहलुओं (बल्लेबाजी, गेंदबाजी, क्षेत्ररक्षण) में मेहमान टीम टीम इंडिया पर भारी है। धोनी का बल्ला खामोश है, उपकप्तान विराट कोहली भी फॉर्म में नहीं हैं। ले-देकर रोहित शर्मा अपने कंधों पर रन बनाने का वजन सह रहे हैं।
 
होलकर स्टेडियम में टॉस निर्णायक भूमिका अदा करेगा। पिच क्यूरेटर समंदरसिंह चौहान ने रनों से भरपूर विकेट तैयार किया है। आउटफील्ड हरे गलीचे जैसा है। घास के कीड़े खिलाड़ियों को तंग न करें, इसके लिए फॉग का उपयोग कई दिनों से जारी है। कुल मिलाकर यह मैच रोमांचक जरूर होगा। टीम इंडिया को इस मैदान पर लगातार चौथी जीत दर्ज करनी है तो उसके खिलाड़ियों को चमत्कारिक प्रदर्शन जरूर करना होगा। भारतीय टीम ने यहां खेले पिछले तीन मैचों की अपनी पारी में क्रमश: 289, 292 और 418 रन बनाए थे लेकिन इस बार उन्हें कुछ अलग प्रदर्शन करना होगा, तभी जीत का जश्न मनाया जा सकेगा।

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