ओपनिंग है टीम इंडिया का सबसे बड़ा सिरदर्द

शनिवार, 28 जुलाई 2018 (18:57 IST)
लंदन। भारत के 11 साल बाद इंग्लिश धरती पर टेस्ट सीरीज जीतने के सपने के आगे उसकी ओपनिंग जोड़ी सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है। विदेशी जमीन पर टेस्ट सीरीज जीतने के लिए यह बहुत जरूरी होता है कि टीम के शीर्ष क्रम के बल्लेबाज अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
 
 
लेकिन इस मामले में भारत का रिकार्ड काफी खराब है और इंग्लैंड में 2014 में खेली गई पिछली सीरीज में भारतीय ओपनरों ने बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया था।
 
इंग्लैंड के खिलाफ भारत की पांच टेस्टों की सीरीज एक अगस्त से एजबस्टन में शुरू होने जा रही है लेकिन उससे पहले काउंटी टीम एसेक्स के खिलाफ तीन दिवसीय अभ्यास मैच में बाए हाथ के ओपनर शिखर धवन की नाकामी ने कप्तान विराट कोहली की परेशानी बढ़ा दी है। शिखर दोनों पारियों में खाता खोले बिना बोल्ड हुए और दोनों पारियों में 3-3 गेंद ही खेल पाए। 
 
यदि भारत की 2014 की पिछली इंग्लैंड सीरीज पर नजर डाली जाए तो टीम इंडिया को ओपनिंग जोड़ी की नाकामी बहुत भारी पड़ी और भारत 1-3 से सीरीज हार गया।
 
इस साल जनवरी में दक्षिण अफ्रीका दौरे में भी भारत को अपनी ओपनिंग जोड़ी से परेशानी झेलनी पड़ी। भारत लंबे समय से एक स्थिर ओपनिंग जोड़ी की तलाश में है जो उसे अच्छी शुरुआत दे सके।
 
भारत ने मुरली विजय और शिखर धवन को लगातार आजमाया है लेकिन दोनों बल्लेबाज घरेलू पिचों पर तो बेहतर प्रदर्शन करते हैं लेकिन विदेशी जमीन पर उनका तालमेल जैसे नदारद हो जाता है। 2014 की सीरीज में इंग्लैंड की जमीन पर पहले टेस्ट में मुरली ने 146 और 52 रन बनाए थे जबकि शिखर ने 12 और 29 रन बनाए थे।
 
पहली पारी में दोनों ने ओपनिंग साझेदारी में 33 और दूसरी पारी में 49 रन जोड़े। यह मैच ड्रॉ रहा। इस पूरी सीरीज में पांच मैचों में भारत की ओर से पहले टेस्ट में 49 रन की ओपनिंग साझेदारी ही सबसे बड़ी ओपनिंग साझेदारी रही। दूसरे टेस्ट में मुरली ने 42 और 95 तथा शिखर ने 7 और 31 रन बनाए। दोनों ने पहली पारी में 11 और दूसरी पारी में 40 रन जोड़े। भारत ने यह मैच जीता।
 
तीसरे टेस्ट में मुरली ने 35 और 12 तथा शिखर ने 6 और 37 रन बनाए। दोनों ने पहली पारी में 17 और दूसरी पारी में 26 रन जोड़े। इंग्लैंड ने यह टेस्ट 266 रन से जीत लिया। चौथे टेस्ट में शिखर को टीम से हटा दिया गया और उनकी जगह गौतम गंभीर को लाया गया।
 
लेकिन हालात नहीं बदले। मुरली ने 0 और 18 तथा गंभीर ने 4 और 18 रन बनाये। दोनों ने ओपनिंग में पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 26 रन जोड़े। भारत चौथा टेस्ट पारी और 54 रन से हार गया। भारत को पांचवें टेस्ट में भी पारी और 244 रन से हार का सामना करना पड़ा।
 
इस मैच में मुरली ने 18 और 2 तथा गंभीर ने 0 और 3 रन बनाए, दोनों पारियों में ओपनिंग साझेदारी 3 और 6 रन की रही। भारत ने इस साल के शुरू में जब दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया तो उसने यह सीरीज 1-2 से गंवाई। पहले टेस्ट में मुरली ने 1 और 13 तथा शिखर ने 16 और 16 रन बनाए।
 
ओपनिंग साझेदारी 16 और 30 रन की रही। भारत यह मैच 72 रन से हार गया। दूसरे टेस्ट में शिखर की जगह लोकेश राहुल को ओपनिंग में उतारा गया लेकिन हालात जस के तस रहे। मुरली ने 46 और 9 तथा राहुल ने 10 और 4 रन बनाए। ओपनिंग साझेदारी 28 और 11 रन की रही।
 
तीसरे टेस्ट में विजय ने 8 और 25 रन बनाए जबकि पहली पारी में राहुल ओपनिंग में उतरकर खाता नहीं खोल सके और दूसरी पारी में पार्थिव पटेल ओपनिंग में उतरे लेकिन 16 रन बनाए। इस मैच में ओपनिंग साझेदारी 7 और 17 रन की रही। हालांकि भारत ने यह मैच मोहम्मद शमी की बेहतरीन गेंदबाजी से 63 रन से जीत लिया।
 
जून में अफगानिस्तान के खिलाफ एकमात्र घरेलू टेस्ट को देखा जाए तो उस मैच में भारत और पारी और 262 रन से विजयी रहा। इस मुकाबले में विजय और शिखर दोनों ने शतक बनाए और पहले विकेट के लिये 168 रन की साझेदारी की। यानि घरेलू पिचों पर तो ओपनिंग जोड़ी चल रही है लेकिन विदेशी पिचों पर यह नाकाम साबित हो रही है।
 
एसेक्स के खिलाफ तीन दिवसीय मैच में विजय ने पहली पारी में 53 रन बनाए जबकि शिखर का खाता नहीं खुला। दूसरी पारी में राहुल को ओपनिंग में उतारा गया और वह 36 रन पर नाबाद रहे। राहुल ने पहली पारी में छठे नंबर पर खेलते हुए 58 रन बनाए थे। दूसरी पारी में शिखर 0 पर आउट हुए। यह स्थिति तब है जब इंग्लैंड के दो शीर्ष तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड अभी मुकाबले के लिए भारतीय बल्लेबाजों के सामने नहीं आए हैं।
 
विश्व की नंबर एक टेस्ट टीम को यदि विदेशी जमीन पर अपनी छवि सुधारनी है तो उसे ओपनिंग की समस्या से जल्द से जल्द निजात पा लेनी होगी। विराट को यह तय कर लेना होगा कि क्या वह मुरली और शिखर के साथ उतरेंगे या शिखर को बाहर रख मुरली के साथ राहुल को उतारा जाएगा।
 
राहुल टेस्ट टीम में तीसरे ओपनर के रूप में शामिल हैं। यह पांच टेस्टों की सीरीज है और यदि 2007 के बाद भारत को इंग्लैंड में पहली टेस्ट सीरीज जीत हासिल करनी है तो उसके ओपनरों को बेहतर खेल दिखाना होगा। (वार्ता)

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