25 जून भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। यह वह तारीख है जिसने क्रिकेट की लोकप्रियता इस देश में एक बड़े स्तर तक पहुंच गई। बच्चा-बच्चा कपिल देव, बिशन सिंह बेदी, अरुण लाल बनना चाहता था क्योंकि 1983 में आज ही के दिन भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज जैसी धुरंधर टीम को हराया जिसने पहले दो विश्वकप जीते थे और तीसरे विश्वकप में कागज पर बेहद मजबूत थी।
कपिल ने भारतीय टीम की कमान 1982 में उस समय में संभाली थी, जब क्रिकेट खेलने वाले वेस्टइंडिज, इंग्लैड जैसे देशों के सामने भारतीय टीम की बिसात बांग्लादेश और केन्या जैसी टीमों की तरह थी। क्रिकेट प्रेमी तो दूर, कोई भारतीय खिलाड़ी भी उस समय विश्व कप जीतने के बारे में सोच नहीं रहा था। तब कौन जानता था कि कपिल के जांबाज खिलाड़ी इतिहास रचने जा रहे हैं।
इस टीम में श्रीकांत के अलावा मोहिंदर अमरनाथ, यशपाल शर्मा, रोजर बिन्नी, संदीप पाटिल, सुनील गावस्कर, बिशन सिंह बेदी, मदनलाल जैसे खिलाड़ी थे।लीग मैचों की शुरुआत में वेस्टइंडीज से हुए पहले ही मैच में भारतीय टीम ने विश्वक्रिकेट को चौंका दिया जब गत विजेता को भारत ने 34 रनों से हरा दिया। दूसरे मैच में कमजोर जिमबाब्वे द्वारा सामने रखा गया 155 रनों का लक्ष्य भारत ने 5 विकेट खोकर बना लिया। हालांकि इसके बाद ऑस्ट्रेलिया से 162 रनों से करारी हार का सामना करना पड़ा। वेस्टइंडीज ने दूसरे लीग मुकाबले में गलती नहीं की और भारत को 66 रनों से हरा दिया।