भारतीय फील्डरों के हाथों को चाहिए 'फेविकोल'

गुरुवार, 2 मार्च 2017 (16:08 IST)
बेंगलुरु। पिछले 10 टेस्टों में 23 कैच टपकाने और पुणे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में 5 कैच टपकाने के बाद यदि भारतीय टीम को अब बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में शनिवार से शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट में वापसी करनी है तो उसके फील्डरों को अपने हाथ मजबूत करने होंगे।
पुणे टेस्ट में मिली 333 रनों की हार के बाद यह तथ्य सामने आया है कि भारतीय क्षेत्ररक्षकों ने पिछले 10 टेस्टों में कम से कम 23 कैच टपकाए हैं। यदि भारत पुणे में जीत गया होता तो यह तथ्य सामने नहीं आता लेकिन हार के बाद ही तमाम कमजोरियां निकलकर सामने आती हैं। 
 
भारत ने पुणे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में 155 रनों की बढ़त दी थी व दूसरी पारी में उसके पास वापसी का मौका था लेकिन एक के बाद एक टपकाए गए कैचों ने हाथ से सारा मामला निकाल दिया। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीवन स्मिथ ने कई जीवनदानों का फायदा उठाकर शानदार शतक ठोका और ऑस्ट्रेलिया को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया। 
 
पिछले टेस्टों को देखा जाए तो कैच स्लिप, गली और विकेट के पीछे छूटे। पुणे में नजदीकी फील्डरों ने स्पिनरों पर कैच टपकाए जिसका भारत को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। बेंगलुरु टेस्ट से पहले भारतीय टीम के अभ्यास सत्रों में एक बात साफ रूप से सामने आई है कि खिलाड़ी कैचों के लिए जमकर अभ्यास कर रहे हैं। 
 
भारतीय खिलाड़ियों ने नजदीकी कैच पकड़ने के अभ्यास में काफी समय गुजारा है। चेतेश्वर पुजारा ने छोटे बल्ले से खिलाड़ियों को स्लिप में कैच लपकने का अभ्यास कराया और वे खुद भी फील्डिंग पोजीशन में पहुंचकर कैच का अभ्यास करने लगे। इस बार कैच कराने का अभ्यास क्षेत्ररक्षण कोच आर. श्रीधर ने कराया। अजिंक्य रहाणे भी इस अभ्यास में जुटे और पुणे में कैच टपकाने वाले मुरली विजय भी पूरी गंभीरता के साथ अभ्यास में लगे दिखाई दिए। 
 
विजय से जब नजदीकी कैच अभ्यास के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने इस पर काफी बात की थी। हम उन क्षेत्रों में कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जहां हम पिछले टेस्ट मैच में बेहतर कर सकते थे। हमें दूसरे टेस्ट का इंतजार है और उम्मीद है कि इस बार कैच नहीं टपकेंगे।
 
सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण के संन्यास के बाद कैचिंग टीम इंडिया के लिए चिंता का विषय रहा है। वर्ष 2014 में भारत ने इंग्लैंड में 1-0 की बढ़त बनाने के बाद कैच टपकाने से अपने पतन का सिलसिला शुरू किया था और भारत वह सीरीज हार गया था।
 
फील्डिंग और फिटनेस हाल के समय में भारतीय टीम में एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है और खुद कप्तान विराट कोहली इस बात को ज्यादा महत्व देते हैं। भारत के मुकाबले पुणे में ऑस्ट्रेलिया के फील्डरों ने ज्यादा बेहतर कैच लपके थे जिसका फायदा उसे भारत में अपनी सबसे यादगार जीत के रूप में मिला। बेंगलुरु में सीरीज बराबर करने के लिए भारतीय फील्डरों को अपने हाथ दुरुस्त करने होंगे वरना फिर हाथ मलने के सिवा कोई चारा नहीं रह जाएगा। (वार्ता)

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