जोहानसबर्ग में टीम इंडिया बना सकती है यह रिकॉर्ड

शुक्रवार, 19 जनवरी 2018 (17:24 IST)
नई दिल्ली। भारत दक्षिण अफ्रीका दौरे में तीन मैचों की सीरीज़ में 0-2 से पिछड़कर सीरीज़ गंवा चुका है लेकिन वह जोहानसबर्ग में 24 जनवरी से होने वाले तीसरे और अंतिम टेस्ट में एक अनूठा रिकॉर्ड बना सकता है।
 
 
भारत इस दौरे में अपनी 17 सदस्यीय टीम में मुख्य विकेटकीपर के रूप में रिद्धिमान साहा को और बैकअप विकेटकीपर के रूप में पार्थिव पटेल को लेकर गया था। साहा केपटाउन में पहले टेस्ट के बाद चोटिल हो गए और उन्हें सेंचुरियन के दूसरे टेस्ट से हटना पड़ा।
 
सेंचुरियन में दूसरा टेस्ट समाप्त होने से पहले ही भारतीय टीम प्रबंधन ने विकेटकीपर दिनेश कार्तिक को दक्षिण अफ्रीका का बुलावा दे दिया जबकि सेंचुरियन में साहा की जगह पटेल विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
 
पटेल का दूसरे टेस्ट में विकेट के पीछे दस्तानों के साथ और विकेट के आगे बल्ले के साथ प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। इस बात की पूरी संभावना है कि पटेल जोहानसबर्ग में होने वाले तीसरे टेस्ट में बाहर बैठेंगे और उनकी जगह कार्तिक को विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभालने का मौका मिलेगा।
 
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में संभवत: यह पहला मौका होगा जब तीन टेस्टों की सीरीज़ में तीन अलग-अलग विकेटकीपर तीन मैचों में कीपिंग की जिम्मेदारी संभालेंगे। विश्व क्रिकेट के इतिहास में भी यह एक अभूतपूर्व मौका होगा।
 
वर्ष 1959-60 में ऐसा ही एक मौका आया था जब इंग्लैंड की टीम ने वेस्टइंडीज़ के दौरे में दो विकेटकीपर रखे थे। इनमें से एक विकेटकीपर की फार्म खराब रही और दूसरा विकेटकीपर बीमार पड़ गया। इस स्थिति में आपात विकल्प के तौर पर जिम पार्क्स को अंतिम टेस्ट में खिलाया गया, जिन्होंने उस मैच में 101 रन ठोंके। 
 
भारतीय टेस्ट इतिहास में 1932 से अब तक 35 विकेटकीपरों ने विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभाली है। मौजूदा दौरे के तीन कीपरों में पार्थिव पटेल ने 2002 में और कार्तिक ने 2004 में अपना टेस्ट पदार्पण किया था। लेकिन 2005 में महेंद्रसिंह धोनी के पदार्पण के बाद से अगले नौ साल तक कोई अन्य विकेटकीपर उन्हें चुनौती नहीं दे पाया। धोनी ने सर्वाधिक 90 मैचों में भारतीय विकेटकीपर की जिम्मेदारी संभाली।
 
साहा ने 2012 में अपना पदार्पण किया था और धोनी के संन्यास के बाद वह टीम इंडिया के पूर्णकालिक विकेटकीपर बन गये। इस बीच 2015 में नमन ओझा ने एक मैच में विकेटकीपिंग की। साहा ने केपटाउन के पहले टेस्ट में विकेट के पीछे 10 शिकार कर धोनी का रिकॉर्ड तोड़ा लेकिन बल्ले से उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
 
बंगाल के साहा को दूसरे टेस्ट में हटाया गया और इसके पीछे उनकी चोट का कारण बताया गया। पटेल ने साहा की जगह संभाली, लेकिन विकेट के पीछे उन्होंने कुछ ढिलाई दिखाई जो भारत को इस टेस्ट में भारी पड़ी और यह उनके तीसरे टेस्ट से बाहर होने की वजह भी बन सकता है। पटेल ने 2002 से अब तक 24 टेस्टों में कीपिंग की है जबकि कार्तिक ने 2004 से अब तक 16 टेस्टों में और साहा ने 2012 से अब तक 32 टेस्टों में कीपिंग की जिम्मेदारी संभाली है।
 
भारत के पहले विकेटकीपर जनार्दन नावले थे जिन्होंने दो टेस्टों में कीपिंग की थी। इसके बाद भारत के प्रसिद्ध विकेटकीपरों में नरेन तम्हाने ने 21 टेस्ट, बुधी कुंदरन ने 15 टेस्ट, फारूख इंजीनियर ने 46 टेस्ट, सैयद किरमानी ने 88 टेस्ट, किरण मोरे ने 49 टेस्ट और नयन मोंगिया ने 44 टेस्टों में कीपिंग की है। मौजूदा चयनकर्ता प्रमुख एमएसके प्रसाद ने छह टेस्टों में कीपिंग की जिम्मेदारी संभाली थी। (वार्ता)

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