वर्मा ने गुरुवार को भेजे पत्र में लिखा है कि मीडिया में अटकलबाजी लगाई जा रही है कि बीसीसीआई भारत सरकार से एक विधेयक लाने के लिए कह सकता है जिसमें न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति की सिफारिशों से बाहर निकलने के प्रावधान हों। इससे आखिर में बोर्ड के निहित स्वार्थों को ही फायदा होगा तथा बीसीसीआई पदाधिकारियों को सराहना करनी चाहिए कि इन सुधारों से पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और इससे बोर्ड की स्वायत्तता बनी रहेगी।
वर्मा ने कहा कि लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई के कामकाज में सरकार के हस्तक्षेप की कोई सिफारिश नहीं की है। संसद में कानून (खेल विधेयक) पारित करने के किसी भी प्रयास का परिणाम बीसीसीआई पर सरकार का नियंत्रण होगा इसलिए कोई भी ऐसा कानून पारित करना गलत होगा जिससे कि लोढ़ा समिति की सिफारिशें निष्प्रभावी हो जाएं। (भाषा)