भारत में क्रिकेट क्रांति लाने का श्रेय कपिल देव निखंज को है, जिन्होंने 1983 में पहली बार आईसीसी विश्व कप जीता था। भारतीय क्रिकेट के लिजेंड कपिल ने क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर पर यह सवाल उठाकर सबको चौंका दिया कि उनमें शतक जड़ने की प्रतिभा तो थी लेकिन इस प्रतिभा का वे सही उपयोग नहीं कर पाए। उनमें यह कला नहीं थी कि इस शतक को दोहरे और तिहरे शतक में कैसे बदला जाए।
कपिल ने यह बात भारतीय महिला क्रिकेट के चीफ कोच और पूर्व सलामी बल्लेबाज डब्ल्यू वी रमन के साथ एक साक्षात्कार में कही। कपिल का ऐसा मानना है कि सचिन में जिस तरह की क्रिकेट प्रतिभा थी, उसकी बदौलत उन्हें कम से कम 5 तिहरे शतक लगाने चाहिए थे।
सचिन ने 200 टेस्ट मैचों की 329 पारियों में 53.79 के औसत से 15921 रन (उच्चतम 248) बनाए, जिसमें 51 शतक, 6 दोहरे शतक और 68 अर्धशतक शामिल हैं। टेस्ट क्रिकेट में सचिन के अलावा जावेद मियांदाद, वीरेंद्र सहवाग, रिकी पोंटिंग, यूनुस खान और मर्वन अट्टापटु के नाम भी 6-6 दोहरे शतक हैं।
इन पांचों बल्लेबाजों में सचिन तेंदुलकर ही सबसे ज्यादा प्रतिभाशाली खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने अपने करियर में सबसे ज्यादा 200 टेस्ट मैच खेले हैं। ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन इस मामले में शिखर पर हैं। ब्रैडमैन ने 52 टेस्ट मैचों में 99.96 के औसत से 6996 रन बनाए (उच्चतम 334), जिसमें 29 शतक, 12 दोहरे शतक और 13 अर्धशतक शामिल हैं।