मौत के मुंह में जाने से 5 महीने पहले ही बचे थे करुण नायर

सोमवार, 19 दिसंबर 2016 (19:56 IST)
चेन्नई। सोमवार का दिन करुण नायर के नाम रहा और इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में वे नाबाद तिहरे शतक (303) की बदौलत नेशनल मीडिया की सुर्खियों में छाए रहे, लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को मालूम है कि देश का मीडिया आज जिस करुण नायर नाम के भारतीय क्रिकेट सितारे को पलकों पर बैठा रहा है, वही शख्स महज पांच महीने पहले मौत के मुंह में जाते जाते बचा था। 
केरल में एक तीर्थ स्थल है, जिसका नाम पार्थसारथी मंदिर है। करुण ने अपने डूबते क्रिकेट करियर को बचाने के लिए भगवान पार्थसारथी के दर्शन करने का संकल्प लिया। चूंकि यह मन्नत थी, लिहाजा उसे पूरा तो करना ही था। वैसे भी तब केरल का पारंपरिक त्योहार ‘वल्ला सैद्या’ मनाया जा रहा था, लिहाजा बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ थी। चूंकि पार्थसारथी मंदिर में जाने के लिए पम्पा नदी को पार करना होता है, लिहाजा वे भी 17 जुलाई 2016 के दिन पारंपरिक बड़ी बोट में सवार हो गए...उन्हें नहीं मालूम था कि आने वाले पलों में वे मौत के साक्षात दर्शन करने जा रहे हैं...
 
यह पारंपरिक बोट में अन्य श्रद्धालु भी भर गए। पार्थसारथी मंदिर के ठीक पूर्व अर्नममुलाला मंदिर पड़ता है। इसी स्थान पर बोट यात्रियों का वजन सहन नहीं कर सकी और सुबह करीब पौने बारह बजे वह पलट गई। चूंकि बचाव दल अर्नममुलाला मंदिर के पास ही तैनात था, लिहाजा युद्ध स्तर पर डूबने वाले श्रद्धालुओं को बचाने का काम शुरू हुआ। चूंकि करुण नायर को भी तैरना नहीं आता था, लिहाजा वे नदी में डूबने लगे। 
 
एक बचावकर्मी की नजर करुण पर पड़ी, फौरन उसने करुण नायर को डूबने से बचा लिया। बचावकर्मी को नहीं मालूम था कि वह जिसे जीवनदान दे रहा है, वह एक ख्यात क्रिकेटर है। बाद में करुण ने उसका शुक्रिया अदा किया। करुण का कहना था कि पांच महीने पहले की नदी में बोट डूबने की उस घटना को जब भी मैं याद करता हूं तो मेरी रुह कांप जाती है। मैं समझता हूं कि शायद पार्थसारथी भगवान का ही चमत्कार है कि मैं जिंदा बचा हूं। मुझे याद है कि उस नौका दुर्घटना में बचावकर्मियों ने जिन 98 श्रद्धालुओं को नवजीवन दिया था, उन भाग्यशाली लोगों में से मैं भी एक हूं।

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