सिर्फ विदेशी ही नहीं इन भारतीय क्रिकेटरों को भी करना पड़ा रंगभेद का सामना

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021 (12:55 IST)
नई दिल्ली: क्रिकेट में रंगभेद पिछले एक साल से बहस और चर्चा का एक बड़ा विषय रहा है। वेस्टइंडीज़ के क्रिकेटर डेरेन सैमी और क्रिस गेल इसके बारे में बोलने वाले सक्रिय खिलाड़ियों में शामिल थे, जिन्होंने जॉर्ज फ़्लॉयड की हत्या के मद्देनज़र नस्लवाद के ख़िलाफ़ सार्वजनिक रूप से आवाज उठायी थी।

इसके बाद से दक्षिण अफ़्रीकी क्रिकेट में नस्लवाद विरोधी बयान देने के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं और यहां तक ​​कि हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात में हुए टी20 विश्व कप में भी, सभी टीमों के खिलाड़ियों ने नस्लवाद विरोधी आंदोलनों का समर्थन भी किया है।

इंग्लैंड के यॉर्कशायर काउंटी क्रिकेट क्लब में नस्लवाद के बारे में अज़ीम रफ़ीक के आरोपों के बाद इंग्लैंड में क्रिकेट प्रतिष्ठान को संस्थागत नस्लवाद के आरोपों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पूर्व कप्तान माइकल वान ने अजीम रफीक से इस मामले पर माफ़ी भी मांगी है।

वेस्टइंडीज के अपने जमाने के दिग्गज तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग नस्लवाद पर दमदार भाषण देने के एक दिन बाद सीधे प्रसारण के दौरान अपने माता पिता के साथ हुए नस्ली व्यवहार पर बात करते हुए आंसू नहीं रोक पाए थे। इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच पहले टेस्ट मैच क्रिकेट मैच से पूर्व होल्डिंग ने कहा था कि अश्वेत नस्ल का अमानुषिकीकरण किया गया और अगर नस्लवाद पर संपूर्ण मानव जाति को शिक्षित नहीं किया गया तो यह जारी रहेगा।

अमेरिका में अफ्रीकी मूल के जार्ज फ्लॉयड के एक श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों मौत के बाद नस्लवाद प्रमुख मसला बन गया था। इसके बाद ही दुनिया भर में ‘Black Lives Matter’ अभियान चला था और पहले टेस्ट मैच से पूर्व वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने इसका समर्थन किया था।

मुझे जीवन भर 'रंगभेद' का सामना करना पड़ा : एल शिवारामाकृष्णन

भारत के पूर्व लेगस्पिनर एल शिवारामाकृष्णन ने कहा है कि उन्हें जीवन भर "रंगभेद" का सामना करना पड़ा है। ऑनलाइन ट्रोलिंग का सामना करने वाले क्रिकेट कॉमेंटेटरों पर एक ट्वीट का जवाब देते हुए, 55 वर्षीय शिवरामकृष्णन ने लिखा: "मेरी काफ़ी आलोचना की गई है और मुझे जीवन भर रंगभेद का सामना करना पड़ा है। इसलिए यह अब मुझे परेशान नहीं करता है। यह दुर्भाग्य से हमारे देश में भी होता है।"

Relax pic.twitter.com/PB8dzkyHuQ

— Laxman Sivaramakrishnan (@LaxmanSivarama1) October 18, 2021
भारत की ओर से लक्ष्मण शिवारामाकृष्णन भारत की ओर से 9 मैचों में 26 विकेट ले चुके हैं। वहीं वनडे क्रिकेट में 16 मैचों में उन्होंने 15 विकेट लिए।

शिवारामाकृष्णन पहले भारतीय क्रिकेटर नहीं हैं जिन्होंने इस तरह के भेदभाव के बारे में सार्वजनिक रूप से बात की है। 2017 में अपना आख़िरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले सलामी बल्लेबाज़ अभिनव मुकुंद भी अतीत में इस मुद्दे पर अपनी बात रख चुके हैं।

On this day in 2011, i was handed the absolute honour to become the 268 th player to play for the country. A moment i will never forget for the rest of my life. #bargethedoor pic.twitter.com/sccQzTTkNR

— Abhinav mukund (@mukundabhinav) June 20, 2020
मुकुंद ने अगस्त 2017 में ट्वीट किया था, "मैं 15 साल की उम्र से अपने देश के भीतर और बाहर बहुत यात्रा कर रहा हूं। जब से मैं छोटा था, मेरी त्वचा के रंग के प्रति लोगों की सोच हमेशा से मेरे लिए एक रहस्य रहा है।" मैंने दिन-ब-दिन धूप में खेला और प्रशिक्षण लिया है।यह सिर्फ इसलिए है क्योंकि मैं जो करता हूं उससे प्यार करता हूं और मैं कुछ चीज़ें हासिल करने में सक्षम हूं क्योंकि मैंने घंटों मैदान पर बिताया है। मैं चेन्नई से आता हूं जो शायद देश के सबसे गर्म स्थानों में से एक है और मैंने खुशी-खुशी अपना अधिकांश वयस्क जीवन क्रिकेट के मैदान में बिताया है।"

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