उन्होंने कहा कि जहां तक खिलाड़ियों की सुरक्षा का सवाल है, मुझे नहीं लगता कि कोई गंभीर खतरा था। कुछ लोग मैदान पर बोलतें फेंक रहे थे। अंपायरों को लगा कि केंद्र में रहना या मैदान से बाहर जाना सुरक्षित होगा। हम अच्छा नहीं खेले और कई बार इस तरह की प्रतिक्रिया मिलती है।
उम्मीद है कि इस दौरे पर ऐसा पहली और आखिरी बार हुआ है। यह पूछने पर कि क्या ऐसा सिर्फ उपमहाद्वीप में होता है, उन्होंने कहा कि इसका जवाब देना कठिन है। पूरी दुनिया में लोग अपनी टीमों को लेकर काफी जज्बाती हैं। कई बार सीमा पार कर जाते हैं जो नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में मैंने ऐसा पहली बार देखा लिहाजा मैं यह नहीं कह सकता कि यहां ऐसा बहुत होता है। लोगों में खेल को लेकर काफी जुनून है लेकिन खिलाड़ी नहीं चाहते कि खेल में ऐसा हो। (भाषा)