नई दिल्ली। महेन्द्र सिंह धोनी का व्यक्तित्व हमेशा निराला रहा है और वे हमेशा चौंकाने वाले फैसले लेते रहे हैं। बुधवार की देर रात उन्होंने एक और चौंकाने वाला फैसला लेते हुए टीम इंडिया की वनडे कप्तानी के साथ ही टी20 की कप्तानी छोड़ दी और अपने फैसले से बीसीसीआई को भी अवगत करवा दिया ताकि वह विराट कोहली को कप्तान बनाने से हिचकिचाए नहीं। धोनी ने कप्तानी छोड़ने की भनक तक किसी को लगने नहीं दी।
धोनी ने नागपुर में अपना ज्यादातर वक्त झारखंड की अपनी रणजी टीम को प्रोत्साहित करने में गुजारा। यही नहीं फुटबॉल के शौकीन धोनी वीडियो गेम पर अपना पसंदीदा फीफा फुटबॉल गेम खेल रहे थे। वे इतने शांत थे कि लग ही नहीं रहा था कि उन्होंने कप्तानी छोड़ने का इतना बड़ा फैसला ले लिया है। वे ऐसा जता रहे थे, मानों कुछ हुआ ही नहीं...एक साधारण सी जिम्मेदारी थी, जिससे वो मुक्त हो गए।
बुधवार के दिन नागपुर के मैदान पर झारखंड की टीम गुजरात के खिलाफ अपना रणजी सेमीफाइनल मैच हार गई थी। मैच हारने के बाद धोनी टीम के प्रदर्शन पर गुस्सा नहीं हुए और अपनी 'केप्टन कूल' छवि को बरकरार रखा। अलबत्ता उन्होंने खिलाड़ियों के टूटे हुए मनोबल को बढ़ाने के लिए अपने कमरे में एक गेट टू गेदर पार्टी का आयोजन रखा।
यही नहीं, झारखंड की टीम के लिए धोनी ने लंच का आयोजन भी रखा। लंच के वक्त भी उनका व्यवहार बेहद साधारण था। इस दौरान कई उत्साही खिलाड़ियों ने धोनी के साथ सेल्फी भी ली। धोनी के साथ स्कूल में पढ़ाई करने वाले उनके दोस्तों का भी मानना है कि वे बचपन से ही ऐसे हैं। जब भी कोई काम करते हैं तो इसका पता किसी को नहीं होता था। यही कारण है कि उनके अचानक कप्तानी छोड़ने की खबर भी किसी को कानोकान नहीं हुई।
सनद रहे कि धोनी भारत के ऐसे इकलौते कप्तान हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की सभी प्रतियोगिताओं में देश को जीत दिलाई है। 2007 में पहली बार आयोजित हुए टी20 विश्व कप को जीता, फिर 2011 में भारत को 28 साल के बाद 50 ओवरों के विश्व कप को दोबारा दिलाया और चैंपियंस ट्रॉफी में भी भारत को चैंपियन बनाया।
धोनी की कप्तानी में ही भारत आईसीसी की टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन की कुर्सी पर विराजित हुआ। 199 वनडे मैचों में धोनी ने टीम इंडिया की कप्तानी की और 110 मैचों में भारत विजयी रहा, 74 मैचों में उसे हार मिली, 4 मैच टाई रहे, जबकि 11 मैचों में कोई परिणाम नहीं निकला। बतौर कप्तान धोनी ने एक दिवसीय मैचों में 54 के औसत से 6683 रन अपने नाम के आगे लिखवाए। उनका स्ट्राइक रेट 86 रहा।