पॉडकास्ट में पूर्व कप्तान मिताली राज ने बताए करियर के मजेदार किस्से

मंगलवार, 26 जुलाई 2022 (18:44 IST)
नई दिल्ली:पूर्व भारतीय कप्तान मिताली राज ने इशारा किया है कि इस जून क्रिकेट से संन्यास लेने के बावजूद वह अगले साल महिला आईपीएल के संभावित आयोजन में खेलना चाहेंगी।

मिताली ने आईसीसी के नए 'हंड्रेड परसेंट क्रिकेट पॉडकास्ट' पर पूर्व इंग्लैंड गेंदबाज़ इशा गुहा और न्यूज़ीलैंड हरफ़नमौला फ़्रैंकी मकाय से बातचीत करते हुए कहा, "मैंने यह विकल्प अपने लिए खुला रखा है। आईपीएल होने में अभी भी काफ़ी महीने बचे हैं। हालांकि इतना ज़रूर है कि मैं महिला आईपीएल के पहले संस्करण का हिस्सा बनना चाहूंगी।"

मिताली ने 1999 और 2022 के बीच अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 10,000 से अधिक रन बनाए और वनडे क्रिकेट में उनके 7805 रन किसी भी महिला के लिए रिकॉर्ड है। हालांकि उन्होंने टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में भारत के लिए 2019 के बाद भाग नहीं लिया था। और तो और महिला टी20 चैलेंज प्रतियोगिता में भी वह इस साल नहीं खेलीं थी। उन्होंने 2020 में वेलॉसिटी टीम की कप्तानी की थी।

पहले वनडे में शतक जड़ने का अनुभव

पॉडकास्ट के दौरान 1999 में मिल्टन कींस में आयरलैंड के ख़िलाफ़ अपने डेब्यू मैच के बारे में उन्होंने कहा, "मैं एक ऐसे शहर [हैदराबाद] से हूं जहां [मोहम्मद] अज़हरुद्दीन ने पहले तीन टेस्ट में तीन शतक लगाए थे। जब मैं 16 साल की उम्र में भारत की टीम में चुनी गई तो मुझसे भी कुछ ऐसी उम्मीदें थीं।" मिताली और उनके साथ डेब्यू कर रहीं रेशमा गांधी दोनों ने शतक जड़े और साथ में पहले विकेट के लिए नाबाद 258 रन जोड़े और इस पर मिताली ने कहा, "सच पूछिए तो मुझे मैच के बारे में बहुत कुछ याद नहीं लेकिन 100 रन बनाकर मैं काफ़ी निश्चिंत थी।"

2002 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टॉन्टन में दूसरे टेस्ट में मिताली ने अपने तीसरे ही टेस्ट में रिकॉर्ड 214 रनों की पारी खेली थी। संयोग से यह मैच इशा का डेब्यू था। इस मुक़ाबले के बारे में मिताली बोलीं, "मैं उस मैच में उपकप्तान थी और हम टीम संयोजन को लेकर काफ़ी सोच में थे। आख़िरकार हमने केवल चार विशेषज्ञ बल्लेबाज़ चुने और बाक़ी ऐसे खिलाड़ी रखे जो मुख्यतया गेंदबाज़ थे लेकिन कारगर बल्लेबाज़ी भी कर सकते थे। जब मैं बल्लेबाज़ी करने गई तो कप्तान अंजुम चोपड़ा दूसरे छोर पर थी।
 

दोहरे शतक की कहानी

"दरअसल हमारा वनडे सीरीज़ बहुत ख़राब गया था और मैंने सिंगल डिजिट स्कोर बनाए थे। मैं अपनी दोस्त नूशीन (अल ख़दीर) से कहती थी कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। फिर टेस्ट से पहले हम टीवी पर पुरुष क्रिकेट का कोई टेस्ट देख रहे थे और एक बल्लेबाज़ ने 200 बनाए और उनके चेहरे पर अलग तरह का हर्ष दिखा। मैंने जब नूशीन से पूछा कि मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं तो उन्होंने सलाह दी कि मैं बेसिक्स पर ध्यान दूं और अच्छी गेंदों को छोडूं तो मैं भी दोहरा शतक बना सकती हूं।"

मिताली ने बताया कि कोविड के दौरान उन्होंने टॉन्टन में उपयोग किए गए "1.4 से 1.5 किलो" भारी बल्ले से अभ्यास करना चाहा तो वह ख़ुद चौंक गईं। उन्होंने कहा कि संन्यास लेने से पूर्व उन्होंने 1.1 किलो के बल्ले का उपयोग किया था और इस परिवर्तन को उन्होंने महिला क्रिकेट में बदलते युग का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "क्रिकेट पहले एक धीमा गेम था और आपको बल्ले के स्विंग का अधिक प्रयोग करना पड़ता था। आप अधिकतर फ़्रंटफ़ुट पर ही खेलते थे। अब टी20 के आने के बाद फ़िटनेस का रोल भी बड़ा हो गया है। कुछ तेज़ गेंदबाज़ आसानी से 130 किमी प्रति घंटा तक की गेंद डालते हैं और ऐसे में आप देर से नहीं खेल सकते। आजकल इतने खिलाड़ी ज़बरदस्त पुल और कट मारते हैं और बड़े छक्के भी लगाते हैं।"

मिताली ने महिला क्रिकेट की लोकप्रियता को दर्शाने अपनी जीवन के पहले और आख़िरी विश्व कप की बात की। दोनों ही प्रतियोगिता न्यूज़ीलैंड में खेले गए लेकिन 2000 और 2022 के संस्करणों के बीच बड़ा अंतर था। उन्होंने कहा, "पहले विश्व कप में हमने अपने मैच लिंकन विश्वविद्यालय के मैदान पर खेले। मुझे याद है न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल में मैं एकादश में नहीं थी और मैदान पर कुछ छात्र मौजूद थे और खिलाड़ियों के परिवार के सदस्य। इस साल विश्व कप के सारे मैच टीवी पर प्रसारित हुए। हम अच्छे स्टेडियम में खेले जहां समर्थक अच्छी संख्या में आते थे। आजकल 300 के स्कोर भी चेज़ हो जाते हैं लेकिन तब अगर आप 200 बना लेते थे तो ऐसा लगता था मैच आपकी जेब में है।"

शेफ़ाली वर्मा की तारीफ़ की

जाते-जाते मिताली ने सलामी बल्लेबाज़ शेफ़ाली वर्मा की तारीफ़ करते हुए उन्हें "पीढ़ी में एक बार" मिलने वाली प्रतिभा बताया। उन्होंने कहा, "मैंने शेफ़ाली को पहली बार घरेलू क्रिकेट में रेलवेज़ के विरुद्ध अर्धशतक बनाते हुए देखा था और यह साफ़ था यह खिलाड़ी एक पारी के आधार पर गेम को बदल सकती है। जब वह टी20 चैलेंज में वेलॉसिटी के लिए मेरे टीम से खेली तो मैंने देखा कि उनमें मर्ज़ी के अनुसार छक्के मारने की क्षमता है जो इतने कम उम्र में बहुत दुर्लभ है। वह ऐसी प्रतिभा है जो पीढ़ी में एक बार आती है और उनमें अकेले भारत के लिए मैच जीतने की क़ाबिलियत है।"(वार्ता)

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