जडेजा ने इंग्लैंड के खिलाफ 86 और 90 रन बनाए लेकिन वे पिछले 37 टेस्ट और 140 वनडे में कभी तिहरे अंक तक नहीं पहुंच पाए थे। उन्होंने आखिर अपने घरेलू मैदान पर विंडीज के खिलाफ यह उपलब्धि हासिल की और इस पारी को अपनी स्वर्गीय मां को समर्पित किया। जब उन्होंने शतक पूरा किया तब उनके साथ 11वें नंबर के बल्लेबाज मोहम्मद शमी खेल रहे थे लेकिन उन्होंने खुद पर अतिरिक्त दबाव नहीं बनने दिया।
जडेजा ने दूसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद संवाददाताओं से कहा कि यह विशेष है, क्योंकि पूर्व में मैं 80 और 90 के पार पहुंचने के बाद आउट हो जाता था। आज मैं चिंतित नहीं था और किसी तरह का ढीला शॉट नहीं खेलना चाहता था। मैं उमेश और शमी से बात करता रहा और खुद से कहा कि शतक पूरा होने तक मुझे खेलते रहना है।
जडेजा ने कहा कि जब आप नियमित तौर पर नहीं खेल रहे होते हो तो दबाव रहता है। आप प्रत्येक मौके का फायदा उठाना चाहते हो। मैंने इंग्लैंड में भी यही सोचा था। एशिया कप में मेरी बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों अच्छी रही। उन्होंने कहा कि मैं प्रत्येक मैच में अपने खेल को बेहतर करने की कोशिश करता हूं। मैं 2018 में ज्यादा मैचों में नहीं खेला इसलिए मौका मिलने पर अच्छा प्रदर्शन करना मेरे लिए जरूरी था।
जडेजा से पूछा गया कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 10 साल बिताने के बावजूद उन्हें खुद को साबित करने की जरूरत क्यों पड़ रही है? उन्होंने कहा कि अच्छा है कि आप जानते हो कि मैं 10 साल से खेल रहा हूं। मैंने कुछ अच्छा किया होगा तभी मैं इतने लंबे समय से खेल रहा हूं। मुझे पता नहीं कि आपने इस पर ध्यान दिया कि पिछले सत्र में हमने जो 13 टेस्ट स्वदेश में खेले थे उनमें मैंने अच्छा प्रदर्शन किया था। (भाषा)