साहा से जब पूछा गया कि कुंबले के बारे में उनकी क्या राय है तो उन्होंने कहा कि मुझे उनका तरीका सख्त नहीं लगता था। कोच के तौर पर, उन्हें कहीं न कहीं तो सख्त बनना ही पड़ता। कुछ को लगता है कि वे सख्त हैं जबकि कुछ को ऐसा महसूस नहीं होता। अनिल भाई के साथ मुझे ऐसा नहीं लगता था। वे श्रीलंका से शुक्रवार को लौटे हैं,, जहां वे उस टीम का हिस्सा थे जिसने हाल में समाप्त हुई टेस्ट सीरीज में 3-0 से जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने फिर रवि शास्त्री और अनिल कुंबले की कोचिंग के तरीकों की तुलना की।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि अनिल भाई हमेशा चाहते थे कि हम बड़ा (400, 500 और 600 रन) स्कोर बनाए और उन्हें लगता था कि प्रतिद्वंद्वी टीम को 150 से 200 रन के अंदर समेटा जा सकता है।, जो हमेशा संभव नहीं होता।
साहा ने कहा कि वहीं दूसरी ओर रवि भाई, हमेशा हमें आक्रामक होने के लिए कहते हैं। वे कहते हैं जाओ और प्रतिद्वंद्वी टीम की गेंदों पर पार्क के चारों ओर हिट करो। मुझे सिर्फ यही अंतर दिखाई देता है। बाकी दोनों ही सकारात्मक बातें करते हैं। जब रवि भाई निदेशक थे तो वे आक्रामक थे। वे अपने नए कार्यकाल में वे इसमें ज्यादा रम गए हैं। साहा ने कप्तान कोहली भी प्रशंसा की, जो मैदान के बाहर भी खिलाड़ियों से बातचीत करके मेलजोल जारी रखते हैं।
बंगाल के स्टंपर ने कहा कि वह समय के साथ सुधार कर रहा है और उसका खिलाड़ियों के साथ जुड़ाव बढ़ गया है। हम एक साथ खाना खाते हैं और एक साथ बाहर जाते हैं। वे हमेशा हमारे साथ घुलते मिलते रहते हैं, जो मुझे उनकी सकारात्मक चीज दिखती है। साहा ने स्वीकार किया कि श्रीलंकाई टीम का जज्बा काफी कमजोर था। उन्होंने कहा कि बल्लेबाजी के लिहाज से उनका रवैया काफी कमजोर था, जो हमारे लिए मददगार साबित हुआ। (भाषा)