उन्होंने कहा, 1994 में जब मैंने भारत के लिए बल्लेबाजी का आगाज किया था तो सभी टीमों की रणनीति विकेट बचाए रखने की होती थी, लेकिन मैंने थोड़ा इससे हटकर करने की कोशिश की। तेंदुलकर ने कहा, मैंने सोचा कि मैं आगे बढ़कर प्रतिद्वंद्वी गेंदबाजों से डटकर सामना कर सकता हूं, लेकिन मुझे विनती करनी पड़ी कि कृपया मुझे मौका दो। अगर मैं विफल रहूंगा तो मैं फिर आपके पास नहीं आऊंगा।