मुंबई। कार पर लगी खरोंच उसके मालिक को खुशी नहीं देती लेकिन महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने अपनी कार पर लगी खरोंचों को ‘खुशनुमा खरोंच’कहा, क्योंकि ये उनकी पहली और एकमात्र विश्व कप जीत की याद हैं। आज अपना 45 वां जन्मदिन मना रहे तेंदुलकर ने याद किया कि किस तरह 2011 में भारत के दूसरा एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय विश्व कप जीतने के जश्न के दौरान उनकी कार पर खरोंचें आ गई थीं।
क्रिकेट लेखक बोरिया मजूमदार की किताब ‘इलेवन गाड्स एंड ए बिलियन इंडियन्स’ के कल रात यहां विमोचन के दौरान तेंदुलकर ने कहा कि हमारे विश्व कप जीतने के बाद, अंधविश्वासी होने के कारण अंजलि (तेंदुलकर) मैदान पर नहीं आना चाहती थी। मैंने उसे फोन किया और कहा कि तुम घर पर क्या कर रही हो। तुम्हें यहां ड्रेसिंग रूम में होना चाहिए, हम जश्न मना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किसी तरह वे स्टेडियम तक पहुंच गईं और जब वह यहां आ रही थी तो स्टेडियम के बाहर लोग नाच रहे थे, जश्न मना रहे थे और कारों के ऊपर कूद रहे थे। यह जश्न हालांकि उस समय कुछ देर के लिए रुक गया जब प्रशंसकों ने अंजलि को पहचान लिया।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि हम इस कार को नहीं छू सकते, इस कार पर हम कुछ नहीं कर सकते। किसी तरह वह स्टेडियम के अंदर आई और इसके बाद हम सभी ने ड्रेसिंग रूम में जश्न मनाया। जब होटल वापस जाने का समय आया तो मैंने कार देखी और हैरान था कि कार की छत पर काफी खरोंच थी।
तेंदुलकर ने कहा कि ड्राइवर ने कहा कि मैडम को छोड़ने के बाद, सभी ने कार के ऊपर कूदना और नाचना शुरू कर दिया इसलिए मैंने कहा कि ये खरोंचे हमेशा मुझे विश्व कप के यादगार लम्हों की याद दिलाएंगे और इसलिए मैं इन्हें ‘खुशनुमा खरोंच’कहता हूं। (भाषा)