आईपीएल फिक्सिंग : सुप्रीम कोर्ट की श्रीनिवासन को फटकार

सोमवार, 24 नवंबर 2014 (17:58 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल 6) में भ्रष्टाचार मामले पर मुद्गल समिति की जांच रिपोर्ट पर सोमवार को सुनवाई के दौरान बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि हितों के टकराव पर उनकी जवाबदेही बनती है और वह इस मामले में खुद को अलग नहीं कर सकते। मुद्गल समिति ने अपनी रिपोर्ट में आईपीएल के अधिकारी को सट्टेबाजी में संलिप्त पाया था।
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इसे गंभीर मसला बताते हुए टिप्पणी की कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद पर बहाल करने के अनुरोध पर विचार करते समय उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन, जो चेन्नई सुपर किंग्स का अधिकारी था, के आचरण पर भी गौर किया जाएगा। आईपीएल-6 में सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग प्रकरण के कारण श्रीनिवासन को इस पद पर काम करने से रोक दिया गया था।
 
न्यायाधीशों ने श्रीनिवासन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, कृपया रिपोर्ट के सहारे मत रहिए कि सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग तथा जांच प्रभावित करने में आप शामिल नहीं थे। इस सबके बावजूद आपके अधिकारी इसमें संलिप्त थे जो आपको प्रभावित करेगा। सिब्बल का तर्क था कि उनके खिलाफ रिपोर्ट में कुछ भी नहीं है।
न्यायाधीशों ने कहा, आप कुछ भी अनुमान मत लगाइए। आप यह कहकर चुनाव लड़ रहे हैं कि आप लिप्त नहीं थे लेकिन आपका कोई नजदीकी इसमें शामिल था। इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायालय ने सवाल किया कि श्रीनिवासन बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए एक टीम के मालिक कैसे हो सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि बीसीसीआई और आईपीएल को अलग नहीं किया जा सकता है और यह तो बीसीसीआई की ही देन है। 
 
न्यायाधीशों ने कहा, कुछ लोग जो बीसीसीआई में हैं, अब एक टीम के मालिक हैं। ये तो परस्पर लाभ की सोसायटी बन गई है। टीम की मालिकाना स्थिति से ही हितों के टकराव का सवाल उठता है। बीसीसीआई के अध्यक्ष को कार्यक्रम चलाना है लेकिन आपकी तो टीम है जो सवाल पैदा करती है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 
 
न्यायालय ने कहा कि आईपीएल-6 में सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग कांड द्वारा क्रिकेट को बोल्ड किए जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा, इस देश में क्रिकेट एक धर्म है और इस खेल के सबसे पवित्र स्वरूप को बहाल करना होगा। 
 
न्यायाधीशों ने कहा, यदि आप यह सब होने देंगे, तो आप खेल का सत्यानाश कर रहे हैं और कोई भी स्टेडियम में नहीं आएगा। यदि जनता को यह पता चल जाए कि मैच फिक्स है तो कोई भी खेल देखने मैदान में नहीं आएगा, क्या यह जानते हुए भी लोग स्टेडियम में आएंगे कि यह सब दिखावा है। 
 
न्यायालय ने कहा कि क्रिकेट को उसकी सही खेल की भावना से ही खेलना होगा और इसे संभ्रांतों का ही खेल बने रहना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि बीसीसीआई के पास न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। इस जांच समिति को अपनी रिपोर्ट में आईपीएल-6 में विसंगतियां मिली हैं।
 
न्यायाधीशों ने कहा, कुल मिलाकार लोगों में क्रिकेट के प्रति एक जनून है। देश में क्रिकेट एक धर्म जैसा है और जनता में इसके प्रति दीवानगी है। देश में ऐसे लाखों लोग हैं जो बगैर किसी दांव के ही इसके दीवाने हैं। न्यायाधीशों ने कहा, क्या आप इस खेल को खत्म करना चाहते हैं। क्या आप ऐसा करने का जोखिम उठा सकते हैं। 
 
न्यायाधीशों ने कहा, आपको यह निश्चित करना होगा कि खेल इसके पवित्रतम स्वरूप में खेला जाए और इसकी प्रतिष्ठा की रक्षा करनी होगी। संदेह का लाभ खेल के पक्ष में जाना चाहिए न कि व्यक्तियों के पक्ष में। इस मामले में कल भी सुनवाई होगी। (भाषा)

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