नई दिल्ली। 20 जून 2017 के दिन लंदन में भारतीय क्रिकेट टीम के कोच अनिल कुंबले ने एक साल का कार्यकाल पूरा होते ही अपना पद छोड़ दिया जबकि बीसीसीआई चाहता था कि वे वेस्टइंडीज दौरे तक अपने पद पर बने रहें लेकिन टीम के अंदरुनी हालात इतने खराब हो गए हैं कि कुंबले ने खुद को टीम से अलग करने का ऐलान कर डाला।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने आने वाले एक साल पहले पूर्व कप्तान अनिल कुंबले को नया कोच नियुक्त किया था और वे टीम इंडिया के 11वें कोच बने थे। चूंकि कप्तान से उनकी नहीं बन रही थी लिहाजा यह पहले कयास लगने शुरु हो गए थे कि कुंबले का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
वैसे देखा जाए तो अब तक 11 कोचों की देखरेख में भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व क्रिकेट में नया मुकाम हासिल किया है। अजीत वाडेकर भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कोच बने थे। वाडेकर का कार्यकाल 1992 से 1996 तक रहा।
बीसीसीआई ने 1996 में संदीप पाटिल को दूसरा कोच नियुक्त किया। पाटिल के बाद मदन लाल को कोचिंग की दिम्मेदारी सौंप दी गई। मदन लाल का कार्यकाल 1996-97 तक रहा। 1997 से 1999 तक भारतीय टीम की कोचिंग का दायित्व अंशुमन गायकवाड़ ने वहन किया। इसके बाद 1999 से 2000 तक कपिल देव टीम इंडिया के कोच रहे।
भारतीय क्रिकेट को संचालित करने वालों ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सुधार की गरज से विदेशी कोच की नियुक्ति की शुरुआत न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान जॉन राइट से की। जॉन राइट का बीसीसीआई से पांच साल का अनुबंध 2000 से 2005 तक रहा। किसी भी विदेशी कोच का टीम इंडिया के साथ यह सबसे लंबा कार्यकाल रहा।
जॉन राइट के बाद तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली की पसंद का दूसरा नया विदेशी कोच ग्रेग चैपल के रूप में टीम इंडिया के साथ जुड़ा। चैपल 2005 से 2007 तक टीम इंडिया के साथ रहे, लेकिन उनका कार्यकाल विवादों से भरा रहा। ऑस्ट्रेलिया के ग्रैग चैपल का अनुबंध खत्म होने के बाद बीसीसीआई ने दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन को नया कोच बनाया और उनकी कोचिंग में भारतीय क्रिकेट टीम ने 28 साल बाद 2011 में आईसीसी वर्ल्ड कप जीता। इससे पूर्व कपिल देव की कप्तानी में भारत 1983 का विश्व कप जीतने में कामयाब हुआ था।
कर्स्टन का कार्यकाल 2008 से 2011 तक रहा। कर्स्टन के घर लौटने के बाद जिम्बाब्वे में जन्मे डंकन फ्लेचर की कोच पद पर नियुक्ति हुई। फ्लेचर का कार्यकाल 2011 से 2015 तक रहा। हालांकि उनके कार्यकाल में टीम इंडिया ने मिलीजुली सफलता हासिल की। बीसीसीआई ने किसी तरह फ्लेचर को झेला, लेकिन उसके बाद फैसला लिया कि भविष्य में टीम इंडिया को किसी विदेशी कोच के हवाले नहीं किया जाएगा।
फ्लेचर के जाने के बाद सवाल खड़ा हुआ कि ऐसा कौनसा शख्स है जो टीम को संभाल सके। चूंकि रवि शास्त्री मीडिया मैनेजर बने हुए थे, लिहाजा बोर्ड ने कोच का पद समाप्त करके रवि शास्त्री को टीम डायरेक्टर की नई भूमिका दे दी। इस तरह शास्त्री ही अब तक टीम के साथ बने हुए थे। शास्त्री का यह कार्यकाल 2015 से 2016 तक रहा।
शास्त्री के कंधों से यह जिम्मेदारी लेकर बीसीसीआई ने 2016 में कुंबले सौंपी लेकिन नाटकीय रूप से उन्होंने अपना अनुबंध पूरा होते ही कोच पद से हाथ जोड़ लिए। अब बीसीसीसी आई नए सिरे से नए कोच की तराश में जुट गया है। उसका कहना है कि श्रीलंका दौरे पूर्व टीम को नया कोच मिल जाएगा। अब सवाल यह रहे कि यह कोच पूर्वकालिक होगा या कार्यकारी? (वेबदुनिया न्यूज)