सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट टीम की कमान जब संभाली थी तो टीम फिक्सिंग कांड, गुटबाजी और फिटनेस की समस्याओं से जूझ रही थी। सौरव गांगुली ने भले ही आईसीसी ट्रॉफी उतनी न जीती हो लेकिन फिक्सिंग काल में फंसी टीम इंडिया को उन्होंने कैसे उबारा यह किसी से छुपा नहीं है। टीम इंडिया में आक्रमकता का बीज बंगाल टाइगर ने ही डाला था, जिसका फल आज मिल रहा है।
कोलकाता के प्रिंस ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 1992 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ गाबा में की थी। उन्होंने 1996 में अपना पहला टेस्ट मैच लॉर्ड्स में खेला जहां उन्होंने 131 रन की शतकीय पारी खेलकर लॉर्ड्स के ऑनर्स बोर्ड में अपना नाम दर्ज करवा लिया।
1972 में जन्मे गांगुली ने अपने 17 साल के क्रिकेट करियर में 113 टेस्ट और 311 एकदिवसीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने दोनों प्रारूपों में कुल 18,575 रन बनाये और 38 शतक भी ठोके।
गांगुली को उनकी दमदार बल्लेबाज़ी के अलावा दिलेर कप्तानी के लिये भी जाना जाता है।गांगुली को आधुनिक भारतीय टीम को आकार देने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने 195 मैचों में भारत की कप्तानी की, जिसमें से 97 में टीम ने जीत दर्ज की।गांगुली ने अक्टूबर 2019 में बीसीसीआई के अध्यक्ष का पद संभाला था।
सौरव गांगुली के जीवन में बहुत सी दिलचस्प बाते हैं लेकिन यह खास 10 बातें उनके चाहने वालों को हमेशा याद रहती हैं।
-सौरव गांगुली का शाही उपनाम महाराज उनके पिताजी और माताजी ने रखा था।
-शुरुआत में सौरव दायां हाथ उपयोग करते थे लेकिन भाई की किट का उपयोग कर पाएं इसलिए वह बाएं हाथ के बल्लेबाज बने।
-सौरव गांगुली का पहला प्यार फुटबॉल था। लेकिन अपने भाई स्नेहाशीश के कहने के कारण उन्होने क्रिकेट अकेडमी में दाखिला लिया।
-अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनका पदार्पण 1991 में ही हो गया था लेकिन उन्हें बाद में डॉप कर दिया गया। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने मैदान पर ड्रिंक्स ले जाने से मना कर दिया था लेकिन इसकी पुष्टि आज तक नहीं हुई।
-साल 1996 में सौरव गांगुली का टेस्ट क्रिकेट में ड्रीम डेब्यू हुआ। इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स के मैदान पर उन्होंने शतक जड़ा।
-सौरव गांगुली बेहद धार्मिक व्यक्ति हैं और हर मंगलवार को व्रत रखते हैं।
-1997 में टोरोंटो में उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ अपना पहला 5 विकेट हॉल लिया। इसके बाद वह गेंदबाजी भी करने लगे।
-सौरव गांगुली बाएं हाथ के बल्लेबाज थे लेकिन गेंदबाजी दाएं हाथ से करते थे। उनके समकालिन दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज लांस क्लूजनर भी ऐसा ही करते थे।
-साल 2000 में जिम्मबाब्वे के विरूद्ध उन्होंने गेंद से 5 विकेट लेकर बल्ले से 50 रन बनाए।
-ऑफ साइड में लगाए बेहतरीन शॉट्स के कारण उन्हें गॉड ऑफ द ऑफ साइड भी कहा जाता है।