राय ने बताया कि हमने सीएसी की नियुक्ति तदर्थ इकाई के रूप में की थी जिसका काम पुरुष राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच की नियुक्ति करना था। सीओए के रूप में हमें इसमें हितों का कोई टकराव नजर नहीं आता। समझा जा रहा है कि मुख्य कोच के रूप में रवि शास्त्री की नियुक्ति के बाद तदर्थ सीएसी का अब कोई अस्तित्व नहीं है।
राय से हालांकि जब जैन के आदेश के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। पूर्व कैग राय ने कहा कि आचरण अधिकारी का पद अर्द्धन्यायिक है। मैं यह अंदाजा नहीं लगा सकता कि वे क्या आदेश देंगे और न ही मैं ऐसा करने वाला हूं। मैंने सिर्फ इतना कहा कि सीओए के रूप में हमने कभी महसूस नहीं किया कि कपिल, शांता या अंशुमन का हितों को टकराव था।