खेल और जीवन को समान रूप से लेना चाहिए : विराट

शुक्रवार, 13 जनवरी 2017 (18:47 IST)
नई दिल्ली। क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में 'टीम इंडिया' के कप्तान बन गए सुपर स्टार बल्लेबाज विराट कोहली ने कहा है कि खेल और जीवन को अलग-अलग नहीं, बल्कि समान रूप से लेना चाहिए। 
'टीम इंडिया' को वनडे और ट्वंटी-20 प्रारूप में नया कप्तान मिलते ही नई जर्सी भी मिल गई। खिलाड़ी अब उन्नत तकनीक और नए फीचर से लैस नाइकी की जर्सी में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में खेलते नजर आएंगे। 
 
विराट ने कहा कि हमसे हमेशा कहा जाता है कि खेल और जीवन को अलग-अलग तरह से लेना चाहिए, जो कि सरासर गलत है। मैदान में हमसे कहा जाता है कि जोखिम लीजिए लेकिन जिंदगी में जोखिम लेने से मना किया जाता है, क्योंकि आपको सुरक्षित रहने की जरूरत है।
 
उन्होंने कहा कि क्रिकेट ने मुझे वह सब कुछ सिखाया, जो मैं जीवन के बारे में जानता हूं। मैं ईमानदारी से कह सकता हूं कि खेल व्यक्तिगत रूप से आपके चरित्र के निर्माण में मददगार है। खेल से ही मुझे खुद पर विश्वास करने के लिए सीखने में मदद मिली। खेल और जीवन को अलग-अलग नहीं, बल्कि समान रूप से लेना चाहिए।
 
'टीम इंडिया' के सबसे सफल कप्तानों में एक महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में खेल काफी बदल गया है, ऐसे में खिलाड़ियों को आधुनिक खेल को समझते हुए नई जर्सी की जरूरत होती है। टीम की नई जर्सी से खिलाड़ियों के उत्साह में बढ़ोतरी होगी। 
 
आईसीसी 'क्रिकेटर ऑफ द ईयर' तथा 'टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर' के अवॉर्ड से नवाजे गए दिग्गज ऑफ स्पिनर रविचन्द्रन अश्विन ने कहा कि 21 वर्ष की उम्र में मैंने सबसे पहले ट्वंटी-20 लीग के लिए अनुबंध किया था। मेरे परिचितों, परिजनों की मुझसे बहुत-सी अपेक्षाएं थीं। 2 वर्ष पहले मैं संघर्षरत था लेकिन खुद पर विश्वास ने अंतत: मुझे इस ऊंचाई तक पहुंचाया। खुद पर विश्वास करना मैंने क्रिकेट यानी खेल से सीखा है।
 
युवा महिला क्रिकेटर स्मृति मंधाना ने कहा कि मुझे 16 वर्ष की कम उम्र में ही सीनियर टीम में खेलने का मौका मिल गया था। सौराष्ट्र के खिलाफ मैंने 155 रनों की पारी खेली थी, जो मेरे लिए आत्मविश्वास बढ़ाने वाला रहा था। नई किट नया रोमांच और जिम्मेदारी व्यक्त करती है, जो खिलाड़ी अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए महसूस करते हैं।
 
भारतीय बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे ने कहा कि देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों के लिए 'नीला' रंग पहनना गर्व की बात है। किट पहनना और देश के लिए खेलना बेहतरीन अहसास है जिसे शब्दों में बयां करना नामुमकिन है। जब भी मैं नीला रंग पहनता हूं तो भावनाएं ही अलग तरह की हो जाती हैं।
 
मनीष पांडे ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि देश में क्रिकेट एक धर्म की तरह है और यहां के बच्चे भारतीय टीम में खेलने का सपना लिए बड़े होते हैं। मैं भी ऐसा ही सपना लिए बड़ा हुआ हूं। मैंने घरेलू क्रिकेट में बढ़िया खेला है और यही मेरे लिए प्रेरणा देने वाला है। मैं भी देश के लिए खेलते हुए नीली जर्सी पहनना चाहता हूं और मुझे भरोसा है कि एक दिन मेरा यह सपना पूरा होगा। (वार्ता)

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