#viratkholi : 19 दिसंबर से जुड़ा विराट कोहली का भयानक रिकॉर्ड, इसी दिन हीरो बने, अब बने जीरो

शनिवार, 19 दिसंबर 2020 (17:37 IST)
एडीलेड। विराट कोहली की अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम ने अगर टेस्ट क्रिकेट में सर्वोच्च स्कोर का नया रिकॉर्ड अपने नाम लिखवाया था तो उनके नेतृत्व में ही टीम ने ठीक 4 साल बाद न्यूनतम स्कोर का रिकॉर्ड भी बनाया और संयोग से ये दोनों रिकॉर्ड एक ही दिन 19 दिसंबर को बने।
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भारतीय टीम एडीलेड ओवल में शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरी पारी में केवल 36 रन पर ढेर हो गई, जो उसका 88 साल के टेस्ट इतिहास में न्यूनतम स्कोर है। इससे पिछला रिकॉर्ड 42 रन का था जो भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ 24 जून 1974 में लॉर्ड्स में बनाया था।
 
लेकिन इसे ठीक 4 साल पहले 19 दिसंबर 2016 की कहानी एकदम भिन्न थी। मैदान था चेन्नई का एमए चिदंबरम चेपक स्टेडियम जब कोहली की अगुवाई में भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ अपनी पहली पारी 7 विकेट पर 759 रन पर समाप्त घोषित करके टेस्ट क्रिकेट में सर्वोच्च स्कोर का नया रिकॉर्ड बनाया था। पिछला रिकॉर्ड सात विकेट पर 726 रन था जो उसने श्रीलंका के खिलाफ 2009 दिसंबर में ही मुंबई में बनाया था।
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भारत की जिस टीम ने सर्वोच्च स्कोर का रिकॉर्ड बनाया था उसमें वर्तमान टीम के चार खिलाड़ी कोहली, चेतेश्वर पुजारा, रविचंद्रन अश्विन और उमेश यादव शामिल थे। लेकिन वह करुण नायर की नाबाद 303 रन और केएल राहुल की 199 रन की पारी थी जिसके दम पर भारतीय टीम ने सर्वोच्च स्कोर का अपना नया रिकॉर्ड बनाया था। भारत ने वह मैच पारी और 75 रन से जीता था।
 
भारतीय टीम ने चार बार एक टेस्ट पारी में 700 से अधिक का स्कोर बनाया है, लेकिन वह केवल दूसरी बार किसी पारी में 50 रन की संख्या नहीं छू पाई। अजित वाडेकर की अगुवाई वाली टीम के बाद अब कोहली के नेतृत्व वाली टीम के नाम पर ऐसा रिकॉर्ड जुड़ गया है जिसे कि वह कभी याद नहीं रखना चाहेगी।
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भारत का 36 रन का स्कोर टेस्ट क्रिकेट में ओवरऑल संयुक्त पांचवां न्यूनतम स्कोर है। रिकॉर्ड न्यूजीलैंड के नाम पर है जिसने 1955 में इंग्लैंड के खिलाफ ऑकलैंड में 26 रन बनाए थे। वैसे एक समय जब भारत का स्कोर 8 विकेट पर 26 रन था तो वह न्यूजीलैंड का रिकॉर्ड बराबर करने की स्थिति में दिख रहा था।
 
न्यूजीलैंड के बाद दक्षिण अफ्रीका का नंबर आता है जो दो बार 30 और एक बार 35 रन पर आउट हो गया था। भारत के अलावा दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया की टीमें भी एक-एक बार 36 रन पर आउट हुई हैं। वाडेकर की अगुवाई वाली 1974 की टीम की बल्लेबाजी की दाद दी जाती थी तो विराट कोहली की वर्तमान टीम की बल्लेबाजी भी मजबूत आंकी जाती है।
 
वाडेकर की टीम में सुनील गावस्कर, फारुख इंजीनियर, स्वयं वाडेकर, गुंडप्पा विश्वनाथ, बृजेश पटेल और एकनाथ सोलकर जैसे बल्लेबाज थे लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ फॉलोआन करते हुए टीम 17 ओवर में 42 रन पर ढेर हो गई।
 
भारत के दोनों न्यूनतम स्कोर में कुछ समानताएं भी हैं। भारत ने 1974 में मैच के चौथे दिन सुबह बिना किसी नुकसान के दो रन से आगे खेलना शुरू किया और फिर पारी ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। क्रिस ओल्ड ने 5 और ज्योफ अर्नोल्ड ने चार विकेट लिए। भारत का केवल एक बल्लेबाज सोलकर (नाबाद 18) दोहरे अंक में पहुंचे जबकि भगवत चंद्रशेखर ने चोटिल होने के कारण बल्लेबाजी नहीं की। उनके ‘अब्सेंट हर्ट’ होने से भारतीय पारी समाप्त हुई।
 
ऑस्ट्रेलिया की गर्मियों में 46 साल बाद यही कहानी दोहराई गई। जिस टीम में विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाज हो वह 21.2 ओवर में 36 रन पर आउट हो गई। जोश हेजलवुड ने पांच और पैट कमिन्स ने चार विकेट लिए। भारत का कोई बल्लेबाज दोहरे अंक में नहीं पहुंचा और मोहम्मद शमी के ‘रिटायर्ड हर्ट’ होने के कारण भारतीय पारी समाप्त हो गई।
 
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इससे पहले भारत का न्यूनतम स्कोर 58 रन था, जो उसने 1947 में ब्रिस्बेन में उसकी अजेय टीम के खिलाफ बनाया था। भारतीय टीम 1952 में इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में भी 58 रन ही बना पाई थी। (भाषा)

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