महेंद्र सिंह धोनी ने कप्तानी क्यों छोड़ी? पांच कारण

गुरुवार, 5 जनवरी 2017 (12:18 IST)
भारतीय क्रिकेट को महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी में कई स्वर्णिम पल दिए हैं। धोनी ने अपनी कप्तानी में वर्ल्ड कप, टी 20 वर्ल्ड कप, चैंपियन्स ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित खिताब जीते। मैदान और मैदान के बाहर अपने फैसलों से चौकाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर वनडे और टी 20 टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला लेकर सभी को चौंका दिया। आइए जानते हैं कि धोनी ने आखिर अचानक क्यों कप्तानी छोड़ दी। 
 
1. धोनी का फॉर्म : एक बल्लेबाज के तौर पर धोनी के लिए पिछली कुछ सीरीज में ठीकठाक प्रदर्शन ही कर रहे थे और उनके रन भी बन ही रहे थे, लेकिन धोनी उस रंग में नहीं दिख रहे थे, जिसके लिए वे जाने जाते थे। फिनिशर के तौर पर  धोनी अपनी छाप नहीं छोड़ पा रहे थे। एक मैच में हार के बाद धोनी ने कहा था कि अगर कोई काम (गेम फिनिश करना) मेरे लिए ही मुश्किल है तो इसका दबाव युवा खिलाड़ी कैसे सहेंगे? धोनी का यह बयान जिम्मेदारी वाला है। धोनी को लगा होगा कि उनकी बल्लेबाजी की मारक क्षमता वापस पाने के लिए उन्हें कप्तानी की जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहिए। 
 
2. खिलाड़ियों की दुविधा : धोनी एक ऐसे कप्तान रहे हैं जो अपने खिलाड़ियों को आगे लाकर जिम्मेदारी देते हैं। रवींद्र जड़ेजा, आर अश्विन, रोहित शर्मा, सुरेश रैना और अजिंक्य रहाणे को धोनी ने बड़ी जिम्मेदारियां दीं और इन खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन भी किया। टेस्ट टीम में खिलाड़ी विराट कोहली की योजना से खेलते हैं, जबकि खेल के छोटे प्रारूप में धोनी की योजना कुछ अलग होती है। ऐसे में खिलाड़ियों के लिए स्वीच ऑन स्वीच ऑफ मुश्किल होता था। धोनी ने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ यह समस्या समझी और जैसा कि धोनी ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के बाद से ही वे कप्तानी छोड़ने का प्लान बना चुके थे। धोनी चाहते थे कि सभी फॉर्मेट के लिए एक ही कप्तान हो, जिससे खिलाड़ियों के लिए संतुलन स्थापित करना आसान हो। 
 
3. धोनी की थ्यौरी : बात कुछ साल पुरानी है जबकि धोनी ने सभी फॉर्मेट के कप्तान रहते हुए वीरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के लिए कहा था कि ये खिलाड़ी आधुनिक क्रिकेट में फिट नहीं होते, ये सुस्त खिलाड़ी हैं। धोनी के इस बेबाक अंदाज़ पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई। बहरहाल, बाद में इन तीनों खिलाडि़यों ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। 

अब यही बात धोनी पर भी लागू होती है। धोनी अब इतने प्रभावी मैच फिनिशर नहीं रह गए हैं, इसका अहसास उन्हें हुआ और बस हो गया फैसला। धोनी ने सीनियर खिलाड़ियों को टीम में अनफिट होने के जो कारण दिए थे, इससे पहले कि वे कारण उनके बारे में गिनाए जाने लगें, उन्होंने खुद कप्तानी छोड़कर सभी का मुहं खुलने से पहले ही बंद कर दिया। 

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4. कोहली की सफलता : धोनी ने समझ लिया कि जिस तरह विराट कोहली ने बतौर कप्तान टेस्ट क्रिकेट में सफलता प्राप्त की है, उनके लिए वनडे और टी 20 क्रिकेट टीम की कप्तानी संभालने का सही वक्त है। 2018 में टी 20 वर्ल्ड कप होना है और 2019 में वर्ल्ड कप। ऐसे में नए कप्तान को पर्याप्त समय मिलेगा। 
 
5. आलोचना से बच गए : धोनी ने अपने करियर में कई बेबाक निर्णय लिए हैं, इससे उनके संबंध भी कुछ खिलाड़ियों से प्रभावित हुए हैं। गौतम गंभीर, युवराज सिंह, इरफान पठान, वीरेंद्र सहवाग, के अलावा कई खिलाड़ियों को जब टीम में स्थान नहीं मिला तो इसका जिम्मेदार धोनी को समझा गया। धोनी अपने लचर प्रदर्शन के बाद सीधे आलोचनाओं का शिकार हो सकते थे। धोनी ने कप्तानी छोड़ने का यही समय सही समझा और वे अपनी कप्तानी की आलोचना से बच गए।  

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