रोहित शर्मा इंडियन प्रीमियर लीग के सबसे सफल बल्लेबाजों में से एक हैं जबकि यूसुफ पठान ने इस ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट में गेंद और बल्ले दोनों से कमाल दिखाया लेकिन जब इन दोनों को भारतीय टीम की तरफ से खेलने का मौका मिला तो वे अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाए।
यह सिर्फ रोहित या यूसुफ तक ही सीमित नहीं है। भारतीय क्रिकेट में ऐसे खिलाड़ियों की तादाद बढ़ती जा रही है जो आईपीएल में अपने प्रदर्शन से हीरो बन जाते हैं लेकिन इसी दम पर जब उनका चयन राष्ट्रीय टीम में होता है तो वे फिसड्डी ही साबित होते हैं।
इस सूची में रोबिन उथप्पा, एस बद्रीनाथ, मुरली विजय, रविंदर जडेजा और यहाँ तक कि दिनेश कार्तिक, आरपी सिंह, प्रज्ञान ओझा, पीयूष चावला आदि को भी रखा जा सकता है। वेणुगोपाल राव ने भारत की तरफ से आखिरी मैच 2006 में खेला था। वह राष्ट्रीय टीम में असफल रहे लेकिन आईपीएल में उन्होंने कई उम्दा पारियाँ खेली।
नए खिलाड़ियों में आईपीएल में चमकने वाले नमन ओझा, सौरभ तिवारी, मनोज तिवारी, शिखर धवन, अशोक डिंडा भी राष्ट्रीय टीम में मौकों का भरपूर फायदा नहीं उठा पाए।
रोहित शर्मा निश्चित तौर पर इस सूची में सबसे ऊपर रखे जाएँगे। वह पहले तीन आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स के तारणहार बने रहे और अब मुंबई इंडियन्स से भी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं।
रोहित के नाम पर आईपीएल में 51 मैच में 34.87 की औसत से 1360 रन और 14 विकेट दर्ज हैं। भारत के लिए वह हालाँकि 61 वनडे में 27.13 की औसत से 1248 रन ही बना पाए जबकि 20 अंतरराष्ट्रीय ट्वेंटी-20 में उनके नाम पर 388 रन दर्ज हैं। वनडे में उन्होंने 31 और ट्वेंटी-20 में 12 विकेट लिए हैं।
रोबिन उथप्पा लंबे समय से राष्ट्रीय टीम में वापसी की कवायद में जुटे हैं। उन्हें जब भी मौका मिला तब वह भारत की तरफ से अपेक्षानुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाये जिससे उन्हें बाहर होना पड़ा।
उथप्पा ने अब तक 38 वनडे में 27.10 की औसत से 786 रन और नौ ट्वेंटी-20 में 18.62 की औसत से 149 रन बनाए हैं। आईपीएल के इस धांसू बल्लेबाज ने इस लीग की 45 पारियों में 971 रन ठोके हैं।
सुब्रह्मण्यम बद्रीनाथ पिछले चार साल से चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से आईपीएल के लगभग प्रत्येक मैच में खेले हैं। उन्होंने अब तक 51 मैच में 31.64 की औसत से 886 रन बनाए हैं लेकिन इस बीच उन्हें जो दो टेस्ट और तीन वनडे खेलने को मिले उनमें वह क्रमश: 63 और 39 रन ही बना पाए।
चेन्नई के ही मुरली विजय ने आईपीएल के 24 मैच में 667 रन बनाए हैं लेकिन 11 वनडे में वह 196 और सात ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय में 122 रन ही बना सके। आईपीएल के 35 मैच में 691 रन बनाने वाले शिखर धवन को जो एकमात्र वनडे खेलने को मिला उसमें वह खाता भी नहीं खोल पाए थे।
वेणुगोपाल की बल्लेबाजी से तो वीरेंद्र सहवाग भी प्रभावित हैं। राव को 16 वनडे में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला जिनमें वह 218 रन ही बना पाए लेकिन आईपीएल के 38 मैच में वह मध्य और निचले क्रम में उपयोगी साबित हुए हैं। उनके नाम पर इस लीग में 612 रन दर्ज हैं।
जडेजा ने आईपीएल के केवल 33 मैच में 592 रन ठोके हैं लेकिन भारत की तरफ से उन्होंने जो 35 एकदिवसीय मैच खेले हैं उनमें वह 535 रन ही बना पाए।
गेंदबाजों में आरपी सिंह भी आईपीएल के नायक हैं लेकिन अपने लचर प्रदर्शन के कारण वह राष्ट्रीय टीम से काफी समय से बाहर हैं। आर पी ने आईपीएल में अब तक 48 मैच में सर्वाधिक 54 विकेट चटकाए हैं जबकि 55 वनडे में वह 65 विकेट ही ले पाए हैं।
ओझा ने आईपीएल में 48 मैच में 52 विकेट जबकि वन डे में 16 मैच में 20 विकेट लिए हैं। आरपी सिंह की तरह उनका भी आईपीएल का औसत एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के औसत से कहीं बेहतर है।
इसी तरह से अमित मिश्रा ने 37 आईपीएल मैच में 50 विकेट लिए जबकि वनडे के दस मैच में उनके नाम पर आठ विकेट दर्ज हैं। आईपीएल में 45 विकेट लेने वाले चावला 25 वनडे में 32 विकेट ही ले पाए हैं। आईपीएल में उनका औसत 26.35 और वनडे में 34.90 है। (भाषा)