आईसीएल में चमके कई भारतीय सितारे

मंगलवार, 8 अप्रैल 2008 (13:22 IST)
इंजमाम-उल-हक, क्रिस केर्न्स, मार्वन अटापट्टू और डेमियन मार्टिन जैसे कई दिग्गज क्रिकेटरों की मौजूदगी के बावजूद भारत के युवा खिलाड़ी इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) के हाल ही में संपन्न हुए ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे।

अंबाती रायुडु, जी. विग्नेस, रविराज पाटिल, मोहनीश मिश्रा, अल्फ्रेड एबसोलम, इंद्रशेखर रेड्डी, अबु नाचीम, अली मुर्तजा, टी. सुधीन्द्र, श्रीधर अय्यर, धुव महाजन और इब्राहीम खली जैसे युवा भारतीय क्रिकेटरों ने इस टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करके विदेशी खिलाड़ियों को भी अपना मुरीद बनाया।

भारत के पूर्व टेस्ट विकेटकीपर और आईसीएल कार्यकारी बोर्ड के सदस्य किरण मोरे ने युवा खिलाड़ियों के प्रदर्शन को उत्साहजनक बताया।

मोरे ने कहा कि घरेलू खिलाड़ियों ने विशेषकर टूर्नामेंट के दूसरे सप्ताह के बाद 50 प्रतिशत से अधिक मैन ऑफ द मैच हासिल किए, जिससे साफ हो जाता है कि देश के युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के अपने उद्देश्य में हम सफल रहे।

कभी भारत के अंडर-19 टीम के कप्तान और हैदराबाद की तरफ से रणजी ट्रॉफी में कई शानदार पारियाँ खेलने वाले 22 वर्षीय रायुडु ने हैदराबाद हीरोज की तरफ से लाहौर बादशाह के खिलाफ दोनों फाइनल में बेहतरीन प्रदर्शन किया।

रायुडु को कभी भारतीय क्रिकेट का उदीयमान सितारा माना जाता था, लेकिन आईसीएल से जुड़ने के कारण उनके लिए राष्ट्रीय टीम में आने के रास्ते बंद हो गए हैं।

हैदराबाद के मध्यक्रम के इस बल्लेबाज ने आईसीएल टूर्नामेंट के दस मैच में 272 रन बनाए और उनका स्ट्राइक रेट 115.74 रन और औसत 30.22 रहा।

चेन्नई सुपरस्टार्स केआर सतीश (255) रन, कोलकाता टाइगर्स के अभिषेक झुनझुनवाला (214 ), मुंबई चैम्पस के 20 वर्षीय बल्लेबाज रविराज पाटिल (213), चेन्नई सुपरस्टार्स के जी. विग्नेस (208) और दिल्ली जाइंट्स के मोहनीश मिश्रा (137) ने अपनी बल्लेबाजी से सभी को प्रभावित किया।

इनमें से विग्नेस ने तो टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइक रेट (185.71) निकाला, जबकि आर. सतीश को उनके नियमित अच्छे प्रदर्शन के आधार पर ही आईसीएल त्रिकोणीय टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया।

गेंदबाजी में विदेशी गेंदबाजों के दबदबे के बावजूद सर्वाधिक 18 विकेट थीरू कुमारन ने लिए। तमिलनाडु के इस मध्यम गति के गेंदबाज ने भारत की तरफ से आठ एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेले हैं, लेकिन उन्होंने अपना अंतिम मैच ढाका में 2000 में खेले गए एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था।

इस मैच में कुमारन ने दस ओवर में 86 रन देकर कोई विकेट नहीं लिया था, जिसके बाद उन्हें हमेशा के लिए भुला दिया गया। इस बागी लीग से अब वे नई पहचान बनाने की कोशिश में हैं।

हैदराबाद के मध्यम गति के गेंदबाज 22 वर्षीय अल्फ्रेड एबसोलम ने अहमदाबाद रॉकेट्स के खिलाफ एक मैच में 15 रन देकर सात विकेट लेने का चमत्कारिक प्रदर्शन किया था। उन्होंने टूर्नामेंट में कुल 13 विकेट लिए।

असम के अबु नाचीम पर कभी राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की भी नजर पड़ी थी, लेकिन अब वे आईसीएल का हिस्सा हैं, जिसमें उन्होंने अपनी तेज गेंदबाजी से सभी को प्रभावित किया और दस विकेट लिए।

टी. सुधीन्द्र और अली मुर्तजा भी अपनी गेंदबाजी से क्रिकेटप्रेमियों के दिल में खास जगह बनाने में सफल रहे। मुंबई चैम्पस के श्रीधर अय्यर ने तो केवल 4.75 के इकोनोमी रेट से रन दिए।

चंडीगढ़ के इशान मल्होत्रा, पूर्व टेस्ट क्रिकेटर रोजर बिन्नी के बेटे स्टुअर्ट बिन्नी और मुर्तजा ने भी काफी किफायती गेंदबाजी की।

विकेटकीपिंग में हैदराबाद के 25 वर्षीय इब्राहीम खली ने विशेष छाप छोड़ी और 13 शिकार अपने नाम लिखवाए, जिसमें छह कैच और सात स्टंपिंग शामिल हैं।

पच्चीस वर्षीय खली पिछले कुछ वर्षों से हैदराबाद की तरफ से रणजी ट्राफी खेलते रहे और उन्होंने केवल 34 प्रथम श्रेणी मैचों में 117 कैच और 15 स्टंपिंग अपने नाम लिखवाए, लेकिन राष्ट्रीय टीम के लिए कड़ी प्रतिद्वंद्विता के कारण उन्हें आईसीएल की शरण में जाना पड़ा।

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