कुंबले को फिर भी याद रहेगा कोटला

फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में भारत-आस्ट्रेलिया के बीच चल रहा तीसरा टेस्ट धीरे-धीरे ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था। भारत अपनी दूसरी पारी खेल रहा था, क्रीज पर वीवीएस लक्ष्मण और बंगाल टाइगर सौरव गांगुली स्कोर को आगे बढ़ाने में लगे हुए थे।

अचानक भारतीय ड्रेसिंग रूम से आई एक घोषणा ने सभी को अवाक कर दिया। घोषणा थी, कोटला मैच के बाद कुंबले अंतरराष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी क्रिकेट से अलविदा कह देंगे।

इतना सुनते ही मीडिया सेंटर में मौजूद पत्रकारों के मोबाइल बजने लगे। मैच के परिणाम की चिंता छोड़ हर कोई कुंबले के बारे में पूरी जानकारी जुटाने में जुटा हुआ था। कुंबले कहीं भी अपना अंतिम टेस्ट खेलते वह तो यादगार रहता ही लेकिन उन्होंने अपने सबसे "लकी" ग्राउंड पर संन्यास की घोषणा करके कोटला को हमेशा के लिए यादगार बना दिया।

कोटला को ऐसे ही कुंबले का सबसे भाग्यशाली मैदान नहीं कहा जाता है। कई ऐसे कारनामे हैं जिन्हें करने की तमन्ना हर गेंदबाज के दिल में होती है, उन्हें कुंबले ने यहाँ पर अपने नाम किया। टेस्ट क्रिकेट में 'परफेक्ट टेन' का आँकड़ा आज तक सिर्फ दो गेंदबाजों ने छुआ है। पहले इंग्लैंड के जिम लेकर और दूसरे अपने अनिल कुंबले 'जम्बो'।

वह कोटला का ही मैदान था जब 1999 में 4 से 7 फरवरी तक पाकिस्तान के खिलाफ मैच में 'परफेक्ट टेन' का आँकड़ा अपने नाम किया था। 'मैन ऑफ द मैच' से सम्मानित होने के मामले में भी दिल्ली का कोटला मैदान कुंबले के बहुत लकी रहा है। कुंबले अपने टेस्ट करियर में अब तक कुल दस बार 'मैन ऑफ द मैच' से सम्मानित किए गए हैं। जिनमें तीन बार कोटला इसका गवाह बना है।

कोटला में कुंबले ने अब तक कुल सात मैचों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें पिछले सभी छः मैचों में भारत ने जीत का स्वाद चखा है। उनके टीम का सदस्य रहते हुए यही (भारत-आस्ट्रेलिया) एकमात्र मैच रहा जिसका परिणाम ड्रॉ रहा।

लेकिन शायद कोटला को हमेशा यादगार बनाने का जिम्मा कुंबले ने अपने कंधों पर ले रखा था तभी तो उन्होंने यहां पर अपने संन्यास की घोषणा करके क्रिकेट से किसी न किसी प्रकार जुड़े हर शख्स के लिए यादगार बना दिया।

कोटला में कुंबले
मैच -7
न -146
उच्चतम -45
औसत -20.85
विकेट -58
सर्वश्रेष्ठ -10/74
गेंदबाजी औसत -16.79
पारी में 5 विकेट -4
कैच -5

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