गंभीर के प्रतिबंध पर सैश की सफाई

बुधवार, 5 नवंबर 2008 (15:43 IST)
सुनवाई के बिना गौतम गंभीर पर लगे एक टेस्ट मैच के प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले आईसीसी के अपीली आयुक्त जस्टिस एल्बी सैश ने कहा कि नैसर्गिक न्याय से संबंधित सुनवाई का अधिकार जरूरी नहीं कि मौखिक सुनवाई का अधिकार हो और इस बल्लेबाज ने तीसरे टेस्ट के दौरान शेन वॉटसन को कोहनी मारने का आरोप पहले ही स्वीकार कर लिया था।

दक्षिण अफ्रीकी न्यायाधीश ने स्वीकार किया हो सकता है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम के सदस्य उस पर लगातार लंबे समय से फिकरे कस रहे हों, लेकिन यह सलामी बल्लेबाज इसकी शिकायत मैदानी अंपायरों से कर सकता था।

सैश ने हालाँकि अपने बयान में कहा है कि वह इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते कि यह साल में दूसरा मौका है, जब गौतम गंभीर रन लेते समय अपना धैर्य खोने के दोषी पाए गए हैं। पहला मौका तब था जब लगभग एक साल पहले वह पाकिस्तानी खिलाड़ी शाहिद अफरीदी के साथ टकराए।

सैश ने कहा कि तब गंभीर पर मैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना लगा था। उन्होंने कहा क्रिकेट शारीरिक नुकसान पहुँचाने का खेल नहीं है।
छोटी-मोटी टक्कर बड़ी चीजें भी बन सकती है। उन्होंने कहा कि टक्कर मारना, फिकरे और कटाक्ष करने को खेल से दूर करना होगा।

अपने फैसले में साच ने कहा है कि बाएँ हाथ के इस बल्लेबाज के साथ उन्हें सहानुभूति है, लेकिन उन्हें नहीं लगता है गंभीर को दी गई सजा इतनी कठोर है कि उन्हें हस्तक्षेप करना पड़े।

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