लगातार छठी एक दिवसीय जीत दर्ज करने के बाद आत्मविश्वास से लबरेज भारतीय क्रिकेट टीम शनिवार को श्रीलंका के खिलाफ दूसरे वनडे (डे-नाइट) में जीत का यह सिलसिला बरकरार रखने के इरादे से उतरेगी।
आक्रामक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग की गैरमौजूदगी के बावजूद भारत ने दाम्बुला में पहला एक दिवसीय मैच छह विकेट से जीता। मुरली और मेंडिस की फिरकी का तिलिस्म भी भारतीय बल्लेबाजों ने तोड़ दिया, जिसे मेजबान कप्तान महेला जयवर्धने ने भी स्वीकार किया।
भारतीय टीम को पिछली बार आर. प्रेमदासा स्टेडियम पर मिली शर्मनाक हार अभी तक याद होगी। उस समय जीत के लिए 227 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम 27 ओवर में 103 रन पर सिमट गई थी। मेंडिस ने उस मैच में चार विकेट लिए थे।
उम्रदराज सलामी बल्लेबाज सनथ जयसूर्या का जबरदस्त फॉर्म श्रीलंका के लिए प्लस प्वाइंट रहा, लेकिन तिलकरत्ने दिलशान और कुमार संगकारा के खराब प्रदर्शन ने मेजबान कप्तान की परेशानी बढ़ा दी होगी। जयवर्धने ने हालाँकि कहा कि एक हार के बाद चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है और उनकी टीम जोरदार वापसी करेगी।
पिछले 13 वनडे में एक भी अर्धशतक नहीं जड़ सके जयवर्धने का फॉर्म में लौटना टीम के लिए बहुत जरूरी है। श्रीलंका के शीर्षक्रम ने अभी तक अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया है और ना ही सलामी जोड़ी से अच्छी शुरूआत मिल सकी है।
मुथैया मुरलीधरन और अजंता मेंडिस पिछले प्रदर्शन को दोहरा नहीं सके हैं। दाम्बुला में दोनों ने मिलकर सौ रन दे डाले और सिर्फ एक विकेट उन्हें मिला।
दाम्बुला में दोनों टीमों के बीच अंतर पावर-प्ले के दौरान बने रनों का भी रहा। भारतीयों ने इसमें 40 रन बनाए जबकि श्रीलंका 28 रन ही बना सका और दो विकेट भी गँवाए।
श्रीलंका के पास अच्छे तेज गेंदबाजों का भी अभाव है। मुरली और मेंडिस का खराब फॉर्म उनके लिए और परेशानी बन गया है। दूसरी ओर भारत के लिए ईशांत शर्मा और जहीर खान ने बेहतरीन तेज गेंदबाजी का प्रदर्शन किया है। दोनों ने विकेट लेने के अलावा रनगति पर भी अंकुश लगाया है।
हरभजनसिंह की गैर मौजूदगी में प्रज्ञान ओझा ने स्पिन आक्रमण की जिम्मेदारी संभाली लेकिन ज्यादा प्रभावित नहीं कर सके। धोनी की टीम को लगातार सातवीं वनडे जीत दर्ज करने के लिए आत्ममुग्धता से बचना होगा।