ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट और विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है। इस कड़ी में 'बैगी ग्रीन' का विवाद जुड़ गया है। इसके बारे में पूर्व और मौजूदा क्रिकेटरों की अलग-अलग राय है।
राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के जमैका एकादश के खिलाफ अभ्यास मैच के दौरान 'बैगी ग्रीन' की जगह प्रायोजकों की नीली टोपी पहनकर उतरने से काफी विवाद हुआ था। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के सीईओ जेम्स सदरलैंड को इस गलती के लिए माफी माँगना पड़ी थी।
'बैगी ग्रीन' को कितना सम्मान दिया जाए इस बारे में मौजूदा कप्तान रिकी पोंटिंग और पूर्व कप्तान इयान चैपल की अलग-अलग राय है। पोंटिंग ने जहाँ 'बैगी ग्रीन' को कीमती और सहेजकर रखने वाली और बहुमूल्य चीज बताया, वहीं 1980 में संन्यास लेने वाले चैपल का मानना है कि स्टीव वॉ के कप्तानी के दिनों से इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया और यह सिर्फ एक पाँच डॉलर का कपड़े का टुकड़ा है।
पोंटिंग ने 'द ऑस्ट्रेलियन' में अपने नवीनतम कॉलम में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की बदली हुई नीति के बारे में लिखा है कि एक क्रिकेटर को 'बैगी ग्रीन' तब तक नहीं मिलती, जब तक टेस्ट पदार्पण की सुबह कोई अन्य खिलाड़ी उसे यह भेंट न करे। पोंटिंग ने कहा ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए 'बैगी ग्रीन' की अहमियत बदली है और मैं कह सकता हूँ कि इससे पहले कभी इसे इतना सम्मान नहीं दिया गया।
पोंटिंग ने लिखा है ऐसा भी समय था जब बैगी ग्रीन टोपी मनमर्जी से सौंप दी जाती थी। जब पूर्व खिलाड़ियों ने इसे नीलामी में बेचना शुरू कर दिया, तो चीजें बदल गईं। खिलाड़ी इससे खुश नहीं थे। इससे इसकी सांकेतिक कीमत कम हो रही थी, इसलिए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने अपनी नीति बदल दी।
उधर, चैपल का मानना है कि 'बैगी ग्रीन' को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। उनके मुताबिक यह एक अच्छी टोपी है, लेकिन इससे बढ़कर उस समय बनी, जब स्टीव वॉ इसे काफी अहमियत देने लगे।
उन्होंने कहा क्रिकेट की यादगार चीजों ने भी इसमें अपनी भूमिका अदा की है और इसके दाम अनाप-शनाप बढ़े हैं। यह पाँच डॉलर कीमत का कपड़ा है। मुझे यह नहीं मिली। संन्यास के बाद से मेरे पास यह नहीं है। मैंने जो किया, उसे याद करने के लिए मुझे ऑस्ट्रेलियाई टोपी को देखने की जरूरत नहीं है।